Adipurush Controversy : हाल ही में एक्टर प्रभास और एक्टर सैफ अली खान की फिल्म “आदिपुरूष” का टीजर जहां पर रिलीज हुआ है वहीं पर इसके सामने आते ही फिल्म विवादों में आ गई है। जहां पर फिल्म में रावण के किरदार को देख लोग खिलजी की तरह मजाक उड़ा रहे है तो वहीं हिंदू सेना द्वारा इसे बैन लगाने की मांग उठ रही है। जिसे लेकर सेंसर बोर्ड द्वारा भी इसे बैन करने की तैयारी की जा रही है।
हिंदू सेना के अध्यक्ष का बयान
आपको बताते चलें कि, इस फिल्म को लेकर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि, विदेशी फंडिंग से भगवान की छबि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है पैसे से धर्म ग्रंथ का मजाक उड़ाना गलत है। हिंदू की भावनाएं आहत होगी इसलिए फिल्म को बैन करना चाहिए। बता दें कि, मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी फिल्म के टीजर को लेकर फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत को चिट्ठी लिखी थी।
कैसे लेना होता है फिल्म के लिए सर्टिफिकेट
आपको बताते चलें कि, फिल्म बनने के बाद फिल्म निर्माता को सेंसर सर्टिफिकेट लेने के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) के नजदीकी ऑफिस में संपर्क करना होता है। इस सर्टिफिकेट के बिना फिल्म को दिखाया नहीं जा सकता। सर्टिफिकेट लेने से पहले निर्माता को बताना होता है कि वह यह फिल्म किन लोगों के लिए बना रहा है। CBFC (जिसे आम भाषा में सेंसर बोर्ड कहा जाता है) के कुल 9 ऑफिस हैं। ये दिल्ली, मुंबई,कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूरू, तिरुवनंतपुरम, हैदराबाद, कटक और गुवाहाटी में हैंं। इन ऑफिस को ऐसी अलग-अलग जगहों पर खोला गया है जहां अलग-अलग भाषा में फिल्में बनाने वाले लोग आराम से इन तक पहुंच सकें। मुंबई के ऑफिस में सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। सेंसर बोर्ड में 22-25 सदस्य होते हैं।
जानें क्या होती है इसकी प्रक्रिया
आपको बताते चलें कि, यहां पर फिल्म से सेंसर सर्टिफिकेट लिए बिना फिल्म को रिलीज नहीं किया जा सकता है जिसकी एक प्रक्रिया होती है जिसमें सेंसर बोर्ड में सबसे पहले जांच समिति फिल्म देखती है और तय करती है कि उसे U, U/A, और A में से किस केटेगरी में रखना है। अगर कमेटी द्वारा तय की गई केटेगरी से निर्माता खुश है तो कोई बात नहीं, पर अगर वह संतुष्ट नहीं है तो वह फिल्म दोबारा देखने की गुजारिश कर सकता है। ऐसे में एक नई कमेटी फिल्म देखेगी। इस केमेटी में बोर्ड का एक सदस्य भी होगा। दूसरी बार फिल्म देखने के दौरान ही फिल्म में कट लगाए जाते हैं। ऐसे में निर्मााता के पास मौका होता है कि बताए गए कट लगवाकर फिल्म के लिए वह सर्टिफिकेट ले ले जो वह चाहता हो।
सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया जाता है गेट
आपको बताते चलें कि, दूसरी बार फिल्म को दिखाने के बाद भी अगर फिल्म निर्माता की मन मुताबिक केटेगरी नहीं मिल रही या फिर वह अपनी फिल्म में कट नहीं लगवाना चाहता तो वह Film Certification Appellate Tribunal (FCAT) में जाकर अपील कर देता है। दिल्ली में बनी यह कमेटी रिटायर्ड जजों की होती है। इसके लोग फिल्म निर्माता की बात सुनते हैं। ज्यादातर मामलों को FCAT निपटा देता है, पर अगर वहां से भी फिल्म निर्माता खुश नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।