Adani Group: नयी दिल्ली| उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले विविध कारोबार से जुड़े अडाणी समूह पर एक बार फिर गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। खोजी पत्रकारों के वैश्विक नेटवर्क ‘ऑर्गेनाइजड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ ने समूह पर गुपचुप तरीके से अपने ही कंपनियों के शेयरों में निवेश का आरोप लगाया है।
ओसीसीआरपी ने रिपोर्ट में क्या कहा?
ओसीसीआरपी की रिपोर्ट मे कहा गया है कि प्रवर्तक परिवार के सहयोगियों द्वारा मॉरीशस स्थित ऐसे निवेश कोष का इस्तेमाल करके समूह की कंपनियों में गुपचुप तरीके से सैकड़ों अरब डॉलर का निवेश किया गया, जिनका कोई अता-पता नहीं है। हालांकि, अडाणी समूह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। इस निवेश की वजह से 2013 से 2018 के दौरान समूह की कंपनियों के शेयरों में जोरदार उछाल आया।
ओसीसीआरपी ने कहा कि उसे प्राप्त दस्तावेजों में 2013 से 2018 तक समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतों का समर्थन करने के लिए प्रवर्तक परिवार के भागीदारों द्वारा प्रबंधित दो मॉरीशस आधारित कोष में जटिल व अस्पष्ट विवरण सामने आया है।
2013 से 2018 के बीच समूह ने भारत में काफी तेजी से वृद्धि की थी। ओसीसीआरपी ने कहा कि गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी के दो करीबी लोग मॉरीशस आधारित कंपनियों के एकमात्र लाभार्थी हैं। ऐसा लगता है कि उनके माध्यम से निवेश किया गया।
संयुक्त अरब अमीरात के नासिर अली शाबान अहली और ताइवान के चांग चुंग-लिंग ने कई वर्षों तक मॉरीशस स्थित दो कोषों के माध्यम से अडाणी समूह में करोड़ों डॉलर के शेयरों का लेन-देन किया। विनोद अडाणी के एक ज्ञात कर्मचारी द्वारा संचालित दुबई स्थित एक कंपनी की निगरानी में यह काम किया गया।
ओसीसीआरपी ने एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि बाजार नियामक सेबी को 2014 की शुरुआत में अडाणी समूह द्वारा कथित संदिग्ध शेयर बाजार गतिविधियों के सबूत सौंपे गए थे।
हिंडनबर्ग ने जनवरी में अडाणी समूह पर आरोप लगाया था
यू के सिन्हा 2014 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के प्रमुख थे। अब वह अडाणी के स्वामित्व वाले समाचार चैनल एनडीटीवी के निदेशक एवं चेयरपर्सन हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने जनवरी में अडाणी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी तथा शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था। इन आरोपों के बाद समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी। इस बीच, अडाणी समूह ने एक बयान में स्पष्ट रूप से इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि इसमें पुराने आरोपों को ही अलग तरीके से दोबारा पेश किया गया है।
समूह ने इसे ‘‘ हिंडनबर्ग रिपोर्ट को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित सोरोस-वित्तपोषित हितों का एक प्रयास’’ घोषित किया। इन आरोपों कि मॉरीशस के दो कोषों में बिलों के घोटाले का पैसा भेजा गया, पर समूह ने कहा, ‘‘ ये दावे एक दशक पहले बंद हो चुके मामलों पर आधारित हैं जब राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने बिलों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने, विदेश में धन हस्तांतरण, संबंधित पक्ष लेनदेन तथा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के जरिये निवेश के आरोपों की जांच की थी।
कपंनी ने कहा कि एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकारी और एक अपीलीय न्यायाधिकरण दोनों ने पुष्टि की थी कि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं था और लेनदेन लागू कानून के तहत थे। मार्च, 2023 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद इसका निपटारा हो गया। समूह ने कहा, ‘‘ स्पष्ट रूप से, चूंकि कोई अधिक मूल्यांकन नहीं था, इसलिए धन के हस्तांतरण को लेकर इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता या आधार नहीं है।’’
विपक्षी दलों ने हिंडनबर्ग के आरोप सामने आने पर संसद के करीब पूरे सत्र में विरोध-प्रदर्शन किया था और अब उन्होंने ओसीसीआरपी के आरोपों के बाद एक बार फिर सरकार तथा अडाणी समूह पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने सरकार द्वारा संसद का विशेष सत्र बुलाने के फैसले के बाद बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि अडाणी समूह के खिलाफ नए खुलासे होने और विपक्ष की बैठक के चलते समाचारों का प्रबंधन करने की कवायद के तहत विशेष सत्र की घोषणा गई है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि इस विशेष सत्र के दौरान भी अडाणी समूह के मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग सदन के भीतर और बाहर जारी रहेगी। रमेश ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर आरोप लगाया, ‘‘समाचारों का प्रबंधन, मोदी शैली है। आज समाचारों में ‘मोडानी घोटाले’ पर नवीनतम खुलासे छाए हुए हैं।
कल मुंबई में उभरते भारतीय दलों की बैठक होगी। कैसे प्रतिकार करें? जब मानसून सत्र तीन सप्ताह पहले ही समाप्त हुआ है तो ऐसे समय संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र की घोषणा की गई।’’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि गुजरात के इस कारोबारी समूह के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संबंधों के कारण उसके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने एक बयान में कहा, ‘‘अडाणी समूह द्वारा अपनी कंपनियों के मूल्य और संपत्ति को बढ़ाने के लिए उनके स्टॉक की कीमतों में हेरफेर करने के ताजा सबूत सामने आए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ गौतम अडाणी के संबंधों ने अब तक यह सुनिश्चित किया है कि नियामक अधिकारी शेयर बाजार में व्यापक धोखाधड़ी और हेरफेर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करें।
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