Bhopal Adampur Khanti: भोपाल की आदमपुर खंती में कचरे का निष्पादन सही तरीके से हो रहा है या नहीं इसके लिए अब नीरी को रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट ने सौंपा है. दरअसल भोपाल नगर निगम पर NGT ने ढेड़ करोड़ का फाइन लगाया था. जिससे बचने के लिए नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर बताया कि हमने कचरा निष्पादन के लिए हमने साॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल 2016 का पालन किया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के लिए नीरी को रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है. अब NEERI (नेशनल इन्वॉयरमेंटल इंजीनियरिंग रिचर्स इंस्टीट्यूट) 90 दिन के भीतर इसकी रिपोर्ट तैयार करेगा. जिसके बाद कोर्ट इस मामले पर फैसला करेगा. मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी.
क्या है पूरा मामला
भोपाल शहर वासियों का पूरा कचरा 2018 के पहले तक भानपुर खंती पर फेंका जाता था. प्रदूषण और शहर के एंट्री प्वाइंट पर होने के कारण भानपुर से कचरा फेंकने के लिए नई जगह तलाश की गई. जो आदमपुर खंती है. 2018 से आदमपुर खंती पर नगर निगम कचरा का निष्पादन करने लगा. अब यहां भी वही हाल हुआ जो भानपुर में था आदमपुर खंती के आसपास कचरे के वेस्ट से लिचेड बहने लगा जो वहां के जलस्तर को खराब कर रहा था. इस मामले में NGT ने नगर निगम पर 1 करोड़ 80 लाख का फाइन लगा दिया. जिससे बचने के लिए निगम ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा. इसपर कोर्ट ने अब नीरी को आदमपुर खंती की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है.
नागपुर की नीरी 90 दिन में करेगी जांच
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद NEERI यानी (नेशनल इन्वॉयरमेंटल इंजीनियरिंग रिचर्स इंस्टीट्यूट) नागपुर जांच कर रिपोर्ट देगी. जांच और उस पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी से आदमपुर खंती में संचालित प्रोसेसिंग यूनिट्स की क्षमता भी बढ़ेगी. बता दें 2018 से यहां कचरे का ढेर लगना शुरू हुआ था. जिसे अब भी निष्पादित नहीं किया गया अब जांच के डर से इसे निगम ने जल्दी निष्पादित कराएगा. जिससे सालों से पड़े कचरे के ढेर भी खत्म हो सकेंगे. इसके बाद आदमपुर खंती के चारों ओर ग्रीन बेल्ट विकसित होगा.
डॉ. पांडेय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में लगाई थी याचिका
डॉ. सुभाष सी. पांडे ने NGT भोपाल में वर्ष 2023 में याचिका दायर की थी. जिसपर सुनवाई में एनजीटी ने तथ्यों को सही पाते हुए निगम पर नगर निगम भोपाल के डॉ. सुभाष सी. पांडेय के तथ्यों को सही मानते हुए एनजीटी ने भोपाल नगर निगम पर 1 करोड़ 80 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, लेकिन नगर निगम ने मामले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देकर लगाए गए जुर्माने को माफ करने का अनुरोध किया था. जिसपर अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी.
लिचेड क्या होता है
खंती का कचरा पानी और हवा के संपर्क में आने के बाद जहरीला और हानिकारण लिचेड निकाल रहा है. लिचेड में तमाम तरह के रसायनों का मिश्रण होता है. इसका कलर भूरा काला होता है जो कि हानिकारक रसायनों का मिश्रण होता है. इसमें माइक्रो प्लास्टिक, लैड, आयरन, निकिल, कैडमियन, जिंक, मैग्नीश, मर्करी, आर्सेनिक, कोबाल्ड, फिनाल और अनेकों पेस्टीसाइड होते है. ये सभी रसायन कैंसर कारक है, जो मिट्टी में मिलकर सब्जी और खद्यानों को जहरीला और भू जल या नदी तालाबों के पानी में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देते है.