हाइलाइट्स
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आदेश वापस लेने सरकार ने लगाई थी याचिका
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हाईकोर्ट का अब स्टेटस रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश
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मामले में अब अप्रैल के तीसरे सप्ताह में होगी सुनवाई
Bhopal Gas Tragedy: प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा और विजय कुमार विश्वकर्मा को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
भोपाल गैस त्रासदी मामले में कोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर उन पर कार्रवाई के आदेश थे।
हालांकि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने अब भोपाल गैस त्रासदी मामले में बनाए गए अवमाननाकर्ता अधिकारियों को अवमानना में दोषी करार देने का आदेश वापस ले लिया।
सरकार ने दायर किया था आवेदन
भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) मामले में अवमानना याचिका पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा और विजय कुमार विश्वकर्मा को अवमानना का दोषी करार दिया था।
इसके अलावा अन्य अनावेदकों के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई के आदेश दिये थे। सरकार की ओर से इस आदेश को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया गया।
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यह है पूरा मामला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में भोपाल गैस पीड़ित (Bhopal Gas Tragedy) महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे।
इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे। माॅनिटरिंग कमेटी को प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष पेश करनी थी।
रिपोर्ट के आधार पर ही हाई कोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी थे।
मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के विरुद्ध अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी थी।
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मॉनिटरिंग कमेटी के समक्ष पेश होगी स्टेटस रिपोर्ट
हाई कोर्ट ने निर्देश दिए कि अवमाननाकर्ता अधिकारी स्वयं या अपने प्रतिनिधियों (क्लास वन अधिकारी) के माध्यम से अगली बैठक में मॉनिटरिंग कमेटी के समक्ष उपस्थित होकर भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) मामले में पालन प्रतिवेदन का वर्तमान स्टेटस पेश करें।
अवमाननाकर्ता अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और हाईकोर्ट के निर्देशों के पालन की रिपोर्ट कमेटी को सौंपे। उसके बाद कमेटी उस रिपोर्ट को विभिन्न बिंदुओं में रिपोर्ट तैयार कर हाईकोर्ट में प्रस्तुत करें।
जस्टिस शील नागू व जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई अप्रैल के तीसरे सप्ताह में निर्धारित की है।