Abortion Rights: सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं के गर्भपात कराने को लेकर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अब अविवाहित महिलाओं को ये अधिकार दे दिया है कि वो भी गर्भपात करा सकती है। गौरतलब है कि इससे पहले यह अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को ही था। अब नए नियम के मुताबिक, अविवाहित महिला भी बिना किसी डर के गर्भपात करा सकती है।
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने फैसले पर कहा कि जमाना बदल गया है विवाहित के साथ अविवाहित महिलाओं (Unmarried Women Getting Abortion Rights) का भी अपने शरीर पर हक है और चुनने का अधिकार है। जरूरी नहीं है कि किसी नकारात्मक कारण की वजह से प्रेगनेंसी हुई हो या गर्भपात की जरूरत पड़ी हो, आपसी सहमति से बनाए गए संबध के बाद भी इसकी जरूरत पड़ सकती है। एक डर होता था लड़कियों में, वह डॉक्टर के पास नहीं जा पाती थी, और डॉक्टर में भी डर होता था कि अगर वो ऐसी लड़कियों का गर्भपात करते हैं तो उनपर एक्शन होगा। अब यह डर खत्म हो जाएगा।
बता दें कि कोर्ट ने डिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स (MTP Act) के नियम 3-B का विस्तार किया है। बता दें कि (MTP Act) के नियम 3-B में मैरिटल स्टेटस शब्द का इस्तेमाल किया गया था। यही वजह है था कि इसे केवल शादीशुदा इंसान के लिए माना जाता था। लेकिन 2021 में (MTP Act) के नियम 3-B में हसबैंड की जगह पार्टनर डाल दिया गया। यानि इस एक्ट का दायरा अब बढ़ गया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लड़कियां बिना किसी डर के डॉक्टर के पास जा सकेंगी। इससे पहले ये था कि अगर कोई लड़की का गर्भधारण हो गया है और वो गर्भपात कराना चाहती थी, लेकिन फिर भी वो डॉ़क्टर के पास नहीं जा पाती थी क्योंकि डॉक्टर के लिए यह काम गैरकानूनी होता था। ऐसे समय में लड़कियां डॉक्टर की सलाह लिए बगैर ही दवाई ले लेती थी, जो उनके लिए हानिकारक होता था फैसले के बाद लड़कियां बिना किसी डर के प्रेगनेंसी के 24 सप्ताहों के अंदर गर्भपात करवा सकेंगी।