भोपाल। Aaj Ka Mudda किसान ही कुंजी..। इसमें किंतु-परंतु भी नहीं है। एमपी की राजनीति में किसान ही जीत की कुंजी है। जिस पार्टी को भी अन्नदाताओं का आशीर्वाद मिला सत्ता उसको ही मिली। लिहाजा बीजेपी और कांग्रेस किसानों को साधने में जुट गई है। कांग्रेस फिर कर्जमाफी का मुद्दा उठा रही है तो शिवराज सरकार ने डिफाल्टर किसानों का 2 लाख तक का ब्याज माफ कर दिया है।
डिफॉल्टर किसानों को बड़ी राहत
चुनाव से ठीक पहले शिवराज सरकार ने डिफॉल्टर किसानों को बड़ी राहत दी। डिफाल्टर किसानों का 2 लाख तक का ब्याज माफ कर कहीं ना कहीं बीजेपी किसानों को साधना चाह रही है और कैबिनेट के फैसले को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। जाहिर है कि 2018 के चुनाव में कर्ज माफी एक अहम मुद्दा था और इसी मुद्दे ने कांग्रेस का सूखा भी खत्म किया था। 2023 के चुनाव में भी कांग्रेस कर्ज माफी का राग अलाप रही है, लेकिन डिफॉल्टर किसानों का ब्याज माफ कर बीजेपी ने किसानों को साधने की तरफ एक कदम जरूर बढ़ा दिया है।
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सरकार के इस फैसले से प्रदेश के 11 लाख किसानों को फायदा मिलेगा। हालांकि, सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस निशाना साध रही है। कांग्रेस तत्कालीन कमलनाथ सरकार का हवाला देते हुए कह रही है कि किसानों का भला कांग्रेस ही कर सकती है।
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अन्नदाताओं को लेकर चुनावी बिसात बिछना शुरू
कुल मिलाकर अन्नदाताओं को लेकर चुनावी बिसात बिछना शुरू हो गई है और बिसात बिछे भी क्यों ना मध्यप्रदेश की सियासत में किसान अहम भूमिका जो निभाते हैं। कृषि प्रधान मध्यप्रदेश में किसानों की बात करें तो जनगणना 2011 के मुताबिक प्रदेश की कुल आबादी का 72 फीसदी आबादी ग्रामीण है, जिसकी आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि है। MP में कुल किसानों की संख्या करीब 1 करोड़ है। इसमें सीमांत किसान 38 लाख 91 हजार हैं, वहीं लघु किसानों की संख्या 24 लाख 49 हजार है। यानी आंकड़ों से भी साफ है कि किसानों को जो लुभा पाएगा उसके लिए सत्ता तक पहुंचने का रास्ता उतना ही आसान होगा।
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