Aaj Ka Mudda: मध्यप्रदेश चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी, और इस पर बीजेपी के रिएक्शन ने फिर एक बार सियासत में फ्री रेवड़ी कल्चर पर बहस छेड़ दी है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने रेवड़ी कल्चर पर संज्ञान लेते हुए मध्यप्रदेश और राजस्थान से जवाब मांगा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कोर्ट के दखल का स्वागत किया है। हालांकि पटेल ने ये साफ किया कि बीजेपी की योजनाओं और कोर्ट की मंशा में कोई फर्क नहीं है।
BJP बोली SC के दखल का स्वागत
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा, ‘’मुझे लगता है कि पीएम मोदी जी का जो कहना है, उसमें और सुप्रीम कोर्ट की सोच में कोई फरक मुझे नहीं लगता है। लाड़ली बहना योजना हो या हमारी कोई भी योजना, उज्ज्वला योजना, जल जीवन मिशन हो, शौचालय हो, पीएम आवास योजना हो, हर घर बिजली हो, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि महिला सशक्तिकरण की इससे बेहतर और कोई मिसाल नहीं हो सकती और किसी भी असेसमेंट के लिए बीजेपी तैयार है।‘’
बीजेपी बता रही दोनों में अंतर
जाहिर है कि सरकारें जनता के पैसे को ही स्कीम के जरिए निचले तबके के विकास पर खर्च कर रही हैं। इसको लेकर बीजेपी का स्टेंड क्लियर है।
बीजेपी मान रही है कि जन कल्याण की योजनाओं और रेवड़ी बांटने में अंतर है। इसको लेकर बीजेपी थर्ड पार्टी एसेसमेंट कराने को लेकर भी राजी है। लेकिन कांग्रेस भी इसपर अपना एजेंडा प्लान कर चुकी है।
कांग्रेस ने किया पलटवार
मप्र कांग्रेस उपाध्यक्ष राजीव सिंह ने कहा, ‘’पूरे 17 साल तो आप जनता को लूटते रहे, अब आप को अचानक याद आ रही कि नवंबर-दिसंबर में चुनाव होगें, तो रेवड़ियां बांटें, तो ये चुनावी दृष्टीकोण से इन्होने जो रेबडियां बाटंना शुरू की हैं।”
उन्होने आगें कहा, ‘‘पहले मध्यप्रदेश के आर्थिक स्थिति देखें। हमने जब मध्य प्रदेश छोड़ा था, तो मात्र 23 हजार करोड़ का कर्ज था, आज लाखों में,मतलब गिनती नहीं हो रही कि कितना कर्ज लिया जा रहा।’’
क्या फ्री फैक्टर, दिखाएगा असर?
मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले बीजेपी सरकार लाडली बहना योजना समेत कई योजनाओं को अमलीजामा पहना चुकी है, तो वहीं कांग्रेस 5 चुनावी गारंटियों का वादा कर चुकी है। इस दौड़ में आम आदमी पार्टी भी पीछे नहीं है, आप सुप्रीमो केजरीवाल एमपी में 10 चुनावी रेवड़ियों का ऐलान कर चुके हैं।
बीते चुनावों को देखा जाए, तो कर्नाटक-हिमाचल में कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी को गुजरात गोवा में इसका फायदा भी मिला है। हालांकि अब देखना होगा कि ये मुद्दा जनता पर कितना असर डालता है।
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