झीलों का शहर भोपाल …जहां देर रात तक पटियों पर गप्प लड़ाए जाते हैं … ईद हो या दिवाली मुहल्लों में रौनक देखते ही बनती है …दुनिया भर से आने वाली फिकरापरस्ती की खबरों का यहां असर नहीं होता है …राजा भोज की नगरी की नवाबी शान देखते ही बनती है …लेकिन …क्या अब भोपाल का भरोसा टूट रहा है …क्या यहां भी अब हिंदुओं और मुसलमानों के मुहल्ले अलग अलग होने लगे हैं ..कम से कम आरएसएस का एक सर्वे तो यही कहता है ….संघ का दावा है कि पुराने भोपाल से बड़े पैमाने पर हिंदुओं का पलायन हुआ है..और इसकी वजह आपसी विश्वास में कमी है