Aaj Ka Mudda: 23 हजार पंचायतें और 50 हजार गांव, ये वो चुनावी आंकड़ा है. जिस पर कांग्रेस दांव लगाना चाहती है. पीसीसी चीफ कमलनाथ ने पंचायती राज व्यवस्था मूल रूप से लागू करने की गारंटी दी. वहीं सीएम शिवराज पहले ही पंचायतों के लिए बड़ा ऐलान कर चुके हैं.
23 का चुनाव, पंचायत पर दांव
मध्यप्रदेश में गारंटियों के बाद अब पंचायत की सियासत शुरू हो गई है. 5 चुनावी गारंटी दे चुकी कांग्रेस. पंचायती व्यवस्था पर दांव खेलकर, 23 के चुनाव को साधने कोशिश में है. दरअसल कांग्रेस ने एक बार फिर मूल पंचायत राज लागू करने का राग छेड़ा है, जो कांग्रेस की दिग्विजय सरकार के दौर में लागू था.
कमलनाथ ने ट्वीट कर सत्ता के विकेंद्रीकरण की बात कही और बीजेपी पर पंचायत राज व्यवस्था को बर्बाद करने के आरोप लगाए. कांग्रेस का कहना है कि सत्ता में आते ही वो फिर से मूल रूप में पंचायती राज को लागू करेंगे.
भारत की संस्कृति में गांव के "पंच" परमेश्वर माने जाते हैं और पंचायत को गांव की सर्वोच्च संस्था।
इसी संस्कृति के अनुरूप स्वतंत्र भारत में कांग्रेस सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया, फिर पंचायतों को मजबूत बनाने के लिए संविधान की ताकत भी दी ।
कांग्रेस हमेशा सत्ता के…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 5, 2023
ग्रामीण वोटर्स को साधने की कोशिश
दरअसल मध्यप्रदेश की 60 प्रतिशत से ज्यादा विधासनभा सीटें ग्रामीण अंचलों में आती हैं और त्रिस्तरीय पंचायत के जनप्रतिनिधियों को साधकर कांग्रेस बड़ा दांव खेलना चाहती है. लेकिन पीसीसी चीफ के इस ट्वीट से कुछ दिन पहले ही बीजेपी अपना दांव खेल चुकी है.
पंचायती राज सम्मेलन में सीएम शिवराज ने मानदेय में 3 गुना बढ़ोतरी के एलान के साथ कई सौगातें पंचायतों को दी. इसके अलावा गांव-गरीब को लेकर बीजेपी पहले ही कई योजनाएं जमीन पर उतार चुकी है. कांग्रेस के वादे पर भी बीजेपी ने चुटकी ली, बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ सरकार बनाने के सपने देख रही है. उनके कोई वादे पूरे नहीं होंगे.
चुनाव से पहले महिलाएं, किसान, युवा और कर्मचारियों को बीजेपी और कांग्रेस कई सौगातें दे चुकी है. अब पंचायत प्रतिनिधि को साधकर ग्रामीण वोट बैंक पर पार्टियों की नजर है. अब देखना होगा किसकी चुनावी पंचायत कमाल दिखाती है.
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