Aaj Ka Mudda: आदिवासी नेता अरविंद नेताम का इस्तीफा देना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. नेताम और बीजेपी कांग्रेस को आदिवासी विरोधी बता रहे हैं. कांग्रेस में इसे झटके के बजाय तोहफे के रूप में देखा जा रहा है.
अरविंद नेताम ने बदला मोर्चा
लंबे समय से कांग्रेस से खफा चल रहे आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने आखिरकार इस्तीफा दे ही दिया. इंदिरा और नरसिंहा सरकार में मंत्री रह चुके हैं नेताम आदिवासियों की उपेक्षा को लेकर कांग्रेस से खफा चल रहे थे. अपने इस्तीफे में नेताम ने सरकार को आदिवासी विरोधी बताया और पेसा कानून को लेकर भी आरोप लगाए.
कांग्रेस से खफा थे नेताम
उन्होंने कहा कि मैं अपना स्वाभिमान बेचकर सरकार में नहीं रह सकता. नेताम के कांग्रेस छोड़ने को बढ़ा झटका माना गया. हालांकि इसपर सीएम भूपेश का बयान गौर करने वाला आया. उन्होंने कहा कि नेताम ने इस्तीफा देने में देर कर दी. भानुप्रतापपुर उपचुनाव का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा, कि वो बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे थे.
कांग्रेस आदिवासी विरोधी: बीजेपी
बयानों से जाहिर है, नेताओं की गाड़ी एक पटरी पर नहीं चल रही थी. बीजेपी ने भी आरोप लगाने का मौका नहीं चूका. पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि कांग्रेस आदिवासी विरोधी है और नेताम का इस्तीफा देना इसका प्रमाण है.
बीजेपी-कांग्रेस को मिलेगी टक्कर
सियासी बयानबाजी से इतर, अब नेताम चुनावी साल में सर्व आदिवासी समाज से मोर्चा संभालेंगे और प्रदेश की 29 रिजर्व सीटों पर ताल ठोकेंगे. उनकी नजर उन जनरल सीटों पर भी होगी. जहां आदिवासी समाज के वोटर्स प्रभाव डालते हैं. आदिवासी वोटर्स का प्रभाव 2018 के नतीजों में भी देखने को मिला था.
जिसने 15 साल की रमन सरकार को बेदखल किया. 29 में से 27 सीटों पर कांग्रेस काबिज हुई. जाहिर है नेताम के कांग्रेस में नहीं होने से परंपरागत आदिवासी वोटर कांग्रेस से छिटक सकता है. सर्व आदिवासी समाज का मैदान में उतरना बीजेपी के लिए भी उतनी ही बड़ी चुनौती बनेगा.
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