CG NHM Strike: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एनएचएम (NHM) के संविदा स्वास्थ्यकर्मी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर 18 अगस्त से बेमियादी हड़ताल पर बैठे हैं। 23 दिन बीत जाने के बावजूद सरकार और कर्मचारियों के बीच सहमति नहीं बन पाई है।
स्वास्थ्यकर्मियों का आरोप है कि सरकार उनकी जायज मांगों को नजरंदाज कर रही है। अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रदेश भर में जल सत्याग्रह किया। प्रदर्शनकारी तालाब में उतर गए और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की।
जल सत्याग्रह से तेज हुआ आंदोलन

कबीरधाम (Kabirdham) में आंदोलनरत स्वास्थ्यकर्मी बड़े मंदिर तालाब में उतर गए और जल सत्याग्रह कर विरोध जताया। इसी तरह बिलासपुर (Bilaspur) में कर्मचारियों ने अरपा नदी (Arpa River) में उतरकर जल सत्याग्रह किया। इससे पहले उन्होंने रामसेतु तक विशाल रैली निकाली और बुधवार को “कलश चुनरी नियमितीकरण मनोकामना यात्रा” निकालने का ऐलान किया।

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं ठप
हड़ताल का सबसे बुरा असर ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में पड़ रहा है। स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में ताले लटके हैं। सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं और मजबूरी में निजी अस्पतालों का रुख कर मोटी रकम खर्च कर रहे हैं।
महासमुंद, कांकेर और बालोद में भी जल सत्याग्रह
महासमुंद (Mahasamund) जिले में कर्मचारियों ने खरोरा तालाब में जल सत्याग्रह कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। जिला अध्यक्ष राम गोपाल खुंटे (Ram Gopal Khunte) ने कहा कि हम सरकार के सामने झुकने वाले नहीं हैं और जरूरत पड़ी तो आत्मदाह और जेल भरो आंदोलन भी करेंगे।
कांकेर (Kanker) में मिनी स्टेडियम में प्रदर्शन कर रहे कर्मचारी डांडिया तालाब पहुंचे और जल सत्याग्रह किया। वहीं भानुप्रतापपुर (Bhanupatappur) में रैली निकालकर राजा तालाब पहुंचे और शासन के खिलाफ आवाज बुलंद की।
बालोद (Balod) जिले में 502 कर्मचारियों ने तांदुला जलाशय (Tandula Reservoir) के बहते पानी में बैठकर जल सत्याग्रह किया और चेतावनी दी कि मांगें पूरी नहीं हुईं तो आगामी चुनाव में सत्ता पक्ष को सबक सिखाएंगे।
आंदोलन की दिशा और सरकार की चुनौती
संविदा स्वास्थ्यकर्मी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। संगठन का कहना है कि केवल आश्वासन से अब काम नहीं चलेगा। वहीं सरकार के सामने चुनौती है कि स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य करे और कर्मचारियों को मनाए। स्थिति जस की तस रही तो यह आंदोलन और ज्यादा उग्र हो सकता है।