हाइलाइट्स
-
मजदूर बच्चों को नामी स्कूल में पढ़ाई
-
सरकार उठाएगी पूरा शिक्षा खर्च
-
आरटीई से अलग नई पहल
CG Labour Child Admission: छत्तीसगढ़ ने देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। श्रम विभाग की अनूठी पहल से राज्य सरकार ने अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना (Atal Uttkrisht Shiksha Yojana) की शुरुआत की है। इस योजना के तहत मजदूरों के मेधावी बच्चों को पहली बार राजधानी रायपुर समेत राज्य के 14 नामी प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है। इनमें दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS), राजकुमार कॉलेज, रायगढ़ पब्लिक स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं।
आरटीई से अलग है नई पहल
यह योजना शिक्षा के अधिकार (Right to Education – RTE) से अलग है। जहां आरटीई के तहत किसी भी बीपीएल परिवार का बच्चा निजी स्कूलों में पढ़ सकता है, वहीं इस योजना में विशेष रूप से निर्माण श्रमिकों (Construction Workers) और मजदूर परिवारों के बच्चों को मौका दिया जा रहा है। श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन का कहना है कि “अगर पीढ़ियों में बदलाव लाना है तो बच्चों को गरीबी की पुरानी पृष्ठभूमि से निकालकर आधुनिक शिक्षा के वातावरण में लाना जरूरी है।”
कैसे होगा चयन और कितने खर्च होंगे
इस बार प्रदेश से लगभग 800 आवेदन आए थे। मेरिट लिस्ट के आधार पर 100 बच्चों का चयन हुआ और 58 बच्चों की प्रतीक्षा सूची (Waiting List) बनाई गई। हर स्कूल में अधिकतम सात बच्चों को ही सीट दी गई है।
इस योजना (CG Labour Child Admission) पर छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल (Chhattisgarh Workers Welfare Board) करीब 2 करोड़ रुपये सालाना खर्च करेगा। प्रत्येक बच्चे की पढ़ाई, यूनिफॉर्म, किताबें, और अन्य शुल्कों पर लगभग 2 लाख रुपये प्रति बच्चा (Education Expenses per Child) खर्च किया जाएगा।
स्कूल की पढ़ाई में खर्च की जिम्मेदारी सरकार की
चयनित बच्चों को सीधे कक्षा 6वीं (Class 6 Admission) में प्रवेश दिया गया है। अब वे कक्षा 12वीं तक इन्हीं स्कूलों में पढ़ेंगे और इस पूरे सात साल के दौरान उनके सभी शैक्षिक खर्च की जिम्मेदारी श्रम विभाग की होगी। इसका मकसद है कि बच्चे सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दें और परिवार को आर्थिक बोझ न उठाना पड़े।
मजदूर परिवारों की खुशी का ठिकाना नहीं
केस 1: रायपुर के गुलाबचंद कोशले की बेटी रिया
रिया का चयन राजकुमार कॉलेज में हुआ है। उनके पिता कहते हैं, “हमने तो कभी सोचा भी नहीं था कि बेटी इतना बड़ा स्कूल जाएगी। जितनी हमारी सालभर की कमाई है, उससे भी ज्यादा उसकी पढ़ाई का खर्च होता। यह योजना हमारे लिए सपना सच होने जैसी है।”
केस 2: सरगुजा के हरिचरण राम की बेटी रूपाली
रूपाली का एडमिशन दिल्ली पब्लिक स्कूल रायगढ़ में हुआ है। हरिचरण बताते हैं, “मेरी बेटी बचपन से ही पढ़ाई में तेज थी। लेकिन गरीबी के कारण सरकारी स्कूल में ही पढ़ा रहे थे। योजना की जानकारी मिलने पर आवेदन किया और अब वह 12वीं तक डीपीएस में पढ़ेगी। हमारे जैसे मजदूरों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं।”
कैसे करना होता है आवेदन
आवेदन प्रक्रिया जिला श्रम कार्यालय (District Labour Office) के माध्यम से होती है। मजदूर कार्ड (Labour Card) और बच्चे की कक्षा 5वीं की मार्कशीट (Class 5 Marksheet) जमा करनी होती है। योजना का लाभ केवल मजदूर परिवार के पहले दो बच्चों (Maximum Two Children) को ही मिल सकता है।
राज्य की शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह योजना केवल Job Opportunities in Future नहीं बल्कि सामाजिक असमानता को भी कम करने का प्रयास है। ग्रामीण और गरीब परिवारों के बच्चे जब निजी स्कूलों (Private Schools in India) के बच्चों के साथ पढ़ेंगे तो उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, आधुनिक संसाधन और प्रतिस्पर्धी माहौल मिलेगा।
भविष्य की तैयारी और संभावनाएं
श्रम विभाग का लक्ष्य है कि अगले साल चयनित बच्चों की संख्या बढ़ाई जाए। अधिकारियों का कहना है कि योजना के तहत ऐसे बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा (Vocational Education), स्कॉलरशिप और कैरियर काउंसलिंग (Career Counseling) से भी जोड़ा जाएगा। इससे न केवल बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि लंबे समय में मजदूर परिवारों की सामाजिक स्थिति भी बेहतर होगी।
छत्तीसगढ़ सरकार की अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना एक ऐतिहासिक पहल है। यह केवल बच्चों की पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मजदूर परिवारों के लिए सामाजिक समानता (Social Equality) और सशक्तिकरण (Empowerment) की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। यदि यह मॉडल सफल होता है तो आने वाले समय में अन्य राज्य भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
ये भी पढ़ें: IBPS RRB Bharti 2025 : बैंक में नौकरी का सुनहरा मौका! 13 हजार से अधिक पोस्ट पर निकली भर्ती, जानें पूरी डिटेल