Madhya Pradesh Staff Selection Board Forest Guard Vanrakshak: मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) पर वनरक्षक और जेल विभाग की संयुक्त भर्ती परीक्षा 2022-23 को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। कैंडिडेट्स का कहना है कि बोर्ड ने बिना ठोस आधार बताए उनका सेलेक्शन रद्द कर दिया। हाल ही में जारी रिजल्ट में 109 उम्मीदवारों में से कई को यूएफएम यानी अनफेयर मीन्स बताकर बाहर कर दिया गया। उम्मीदवारों का सवाल है कि यदि उन पर अनियमितता का संदेह था, तो उन्हें फिजिकल फिटनेस परीक्षा में क्यों शामिल किया गया। यह चीजें पहले ही स्पष्ट कर देनी चाहिए थी।
8 महीने बाद आया रिजल्ट, कई कैंडिडेट्स बाहर
यह परीक्षा 25 मई से 20 जून 2023 तक 13 अलग-अलग शहरों में आयोजित की गई थी। फाइनल रिजल्ट 13 दिसंबर 2024 को घोषित हुआ, लेकिन 109 अभ्यर्थियों का रिजल्ट रोक लिया गया। इसके बाद उम्मीदवार जब हाईकोर्ट पहुंचे तो अदालत ने 9 जुलाई 2025 को एक महीने के भीतर फैसला लेने का आदेश दिया।
जिसके बाद 26 अगस्त 2025 को ईएसबी ने रिजल्ट जारी किया और सभी 109 उम्मीदवारों में से कई कैंडिडेट्स की अभ्यर्थिता (candidature) निरस्त कर दिया। बोर्ड ने नियम पुस्तिका की धारा 3.10 (अ) का हवाला देते हुए इन्हें परीक्षा की शुचिता भंग (breach of chastity) करने का दोषी ठहराया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अनफेयर मीन्स का आधार क्या था।
उम्मीदवारों ने कहा- ठोस सबूत दिखाए जाएं
कैंडिडेट्स का कहना है कि ईएसबी ने सिर्फ यूएफएम लिखकर उनका भविष्य खत्म कर दिया। वे बोर्ड से मांग कर रहे हैं कि किस आदेश, रिपोर्ट या सबूत के आधार पर यह फैसला लिया गया, इसकी जानकारी दी जाए। कई उम्मीदवार एग्जाम सुपरवाइजर की रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज की ऑथेंटिक कॉपी भी मांग रहे हैं, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
फिजिकल फिटनेस पर उठाए सवाल
उम्मीदवारों का सवाल है कि यदि उन पर अनियमितता का संदेह था, तो उन्हें फिजिकल फिटनेस परीक्षा में क्यों शामिल किया गया। ऑनलाइन परीक्षा का रिजल्ट 14 मार्च 2024 को जारी हुआ था, उसी समय उनकी उम्मीदवारी पर रोक लगानी चाहिए थी। इसके बावजूद मई-जून 2024 में आयोजित फिजिकल फिटनेस परीक्षा में इन्हें शामिल किया गया और अब आठ महीने बाद रिजल्ट रोककर बाहर कर दिया गया।
चयन मंडल पर गंभीर आरोप, हाईकोर्ट जाने की तैयारी
कैंडिडेट्स का आरोप है कि ईएसबी ने अपने सिस्टम को सही ठहराने के लिए उनका करियर दांव पर लगा दिया। इससे न केवल उम्मीदवार मेंटली डिस्टर्ब होंगे बल्कि उनकी सालों की मेहनत भी बर्बाद हो गई है। अब प्रभावित उम्मीदवार एक बार फिर हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, इस मामले पर ईएसबी ने किसी भी तरह के कमेंट से बच रहा है।
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