हाइलाइट्स
- एमपी हाईकोर्ट में वकील ने की जज पर आपत्तिजनक टिप्पणी।
- कोर्ट ने जताई सख्त नाराजगी, वकील ने बिना शर्त माफी मांगी।
- याचिका पर सुनवाई के दौरान सीनियर वकील के बिगड़े बोल।
Madhya Pradesh (MP) High Court Hearing Case: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक सुनवाई के दौरान ऐसा वाकया सामने आया, जिसने न सिर्फ कोर्टरूम बल्कि पूरे न्यायिक गलियारों को चौंका दिया। एक वरिष्ठ वकील ने न्यायाधीश को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी, जो न्यायालय की गरिमा के खिलाफ मानी गई। हालांकि समय रहते मामला संभाल लिया गया। इसके बाद वकील ने तुरंत बिना शर्त माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए चेतावनी देकर छोड़ा।
सीनियर वकील ने जज को क्या कह दिया?
जबलपुर हाईकोर्ट में एक सीनियर वकील ने सुनवाई के दौरान न्यायालय की गरिमा के विपरीत टिप्पणी कर दी। यह मामला नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव थाना क्षेत्र में हुई मारपीट से जुड़ी जमानत याचिका का था। बहस के दौरान वकील ने अपनी नाराजगी जताते हुए सरकारी वकील से कहा- “जज पागल हैं क्या?” बुजुर्ग वकील की इस टिप्पणी से कुछ क्षणों के लिए कोर्टरूम का माहौल तनावपूर्ण हो गया।
कोर्ट की सख्त नाराजगी, वकील ने मांगी माफी
यह मामला जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल (Justice Pramod Agrawal) की एकलपीठ में विचाराधीन था। अधिवक्ता की आपत्तिजनक टिप्पणी पर उन्होंने तुरंत कड़ा ऐतराज जताया और स्पष्ट शब्दों में कहा कि,
“हम न तो अपने कोर्ट में किसी से अपमानजनक भाषा बोलते हैं, न ही ऐसी भाषा को सहन करते हैं।”
हालांकि, टिप्पणी करने वाले सीनियर वकील ने तुरंत ही बिना शर्त माफी मांग ली, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए उन्हें भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी दी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान बहस
दरअसल, नरसिंहपुर के गोटेगांव में हुई एक मारपीट की घटना को लेकर मुन्नालाल मेहरा और तेजस मेहरा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने अनिकेत पटेल नाम के युवक के साथ मारपीट की जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। सरकारी वकील ने बताया कि पीड़ित को 15 जून 2024 को भर्ती किया गया था और 17 जून को छुट्टी मिली, लेकिन 3 जुलाई को दोबारा भर्ती होना पड़ा। इस पर कोर्ट ने पुलिस से पीड़ित की वास्तविक छुट्टी तिथि की जानकारी मांगी है।
कोर्ट ने वकील को दी चेतावनी
सुनवाई के दौरान एक वकील द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए अपने आदेश में उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय के प्रति अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया है। हालांकि, वकील ने बिना शर्त माफी मांग ली, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए उन्हें भविष्य में संयमित भाषा का प्रयोग करने की चेतावनी दी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आगे इस प्रकार की भाषा का प्रयोग दोहराया गया, तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट में मौजूद वकीलों ने संभाली स्थिति
अदालत में उपस्थित दूसरे वकीलों ने स्थिति को बिगड़ने से पहले ही संभाल लिया। उन्होंने संबंधित वकील को समझाया कि न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ कोई टिप्पणी स्वीकार्य नहीं है, वहीं सरकारी वकील को भी यह सुझाव दिया गया कि वरिष्ठ वकीलों की उम्र और अनुभव का सम्मान किया जाना चाहिए।
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हाईकोर्ट परिसर में चर्चा का विषय बनी घटना
हाईकोर्ट परिसर में यह घटना चर्चा का विषय बनी रही। अधिवक्ताओं के बीच यह माना जा रहा था कि संबंधित वकील की किस्मत अच्छी थी कि मामला जस्टिस प्रमोद अग्रवाल की अदालत में आया, जो शांत, संयमी और न्यायप्रिय जज माने जाते हैं। वकीलों का कहना था कि यदि यह टिप्पणी किसी सख्त स्वभाव के न्यायाधीश जैसे जस्टिस विवेक अग्रवाल या जस्टिस अतुल श्रीधरन की अदालत में होती, तो वकील को न सिर्फ अवमानना की कार्यवाही का सामना करना पड़ता, बल्कि बार काउंसिल की अनुशासनात्मक जांच की नौबत भी आ सकती थी।
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अगली सुनवाई की तारीख
इस प्रकरण की अगली सुनवाई अब 1 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है। तब तक पुलिस को यह स्पष्ट करना होगा कि घायल को किस तारीख को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी।
इस खबर से जुड़े 5 महत्वपूर्ण FAQ
1. एमपी हाईकोर्ट में सीनियर वकील ने क्या टिप्पणी की?
उत्तर: हाईकोर्ट में एक सीनियर वकील ने बहस के दौरान कहा “जज पागल हैं क्या?” यह टिप्पणी न्यायालय की गरिमा के विपरीत मानी गई, जिससे कोर्टरूम का माहौल असहज हो गया।
2. यह मामला किस न्यायाधीश की अदालत में सुना गया?
उत्तर: यह मामला जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकलपीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, जिन्होंने तुरंत टिप्पणी पर आपत्ति जताई और संयमित ढंग से कार्रवाई की।
3. क्या वकील को कोई सजा मिली?
उत्तर: वकील ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे अदालत ने स्वीकार किया। साथ ही, कोर्ट ने उन्हें भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी दी। अगली गलती पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
4. यह विवाद किस केस की सुनवाई के दौरान हुआ?
उत्तर: यह विवाद नरसिंहपुर के गोटेगांव में मारपीट के एक मामले की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान हुआ, जिसमें आरोपियों पर एक युवक को गंभीर रूप से घायल करने का आरोप है।
5. इस घटना पर हाईकोर्ट परिसर में क्या प्रतिक्रिया रही?
उत्तर: यह घटना हाईकोर्ट के गलियारों में चर्चा का विषय बन गई। वकीलों का मानना था कि मामला अगर किसी सख्त न्यायाधीश की अदालत में होता, तो अधिवक्ता को अवमानना और अनुशासनात्मक जांच का सामना करना पड़ सकता था।