Haritalika Teej 2025 Vrat Katha in Hindi: हिन्दू पंचांग के अनुसार हरितालिका तीज का व्रत आज 26 अगस्त (Haritalika Teej Vrat 2025 Date) को रखा जा रहा है। धर्म शास्त्र के नियम अनुसार इस दिन महिलाएं बिना कुछ खाए पीए निर्जला रहकर पूरे दिन और पूरी रात इस व्रत का पालन करती हैं।
ऐसे में इस व्रत की पूजा के कुछ नियम भी हैं। अगर आपने भी हरितालिका तीज का व्रत रखा है तो चलिए हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं हरितालिका तीज व्रत की कथा, पूजा सामग्री और नियम।
इस कथा में भगवान शिव ने माता पार्वती को पिछला जन्म याद दिलाया था।
हरितालिका तीज व्रत कथा (Vrat Katha)
‘हे गौरा, पिछले जन्म में तुमने मुझे पाने के लिए बहुत छोटी उम्र में कठोर तप और घोर तपस्या की थी। तुमने न तो कुछ खाया और न ही पिया, बस हवा और सूखे पत्ते चबाए।
जला देने वाली गर्मी हो या कंपा देने वाली ठंड तुम नहीं हटीं बल्कि डटी रहीं। भारी बारिश में भी तुमने जल नहीं पिया। तुम्हें इस हालत में देखकर तुम्हारे पिता बहुत दु:खी थे। उनको दु:खी देख कर नारदमुनि आए और कहा कि मैं भगवान विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं। वह आपकी कन्या से विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं।
नारदजी की बात सुनकर आपके पिता बोले अगर भगवान विष्णु यह चाहते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं।
परंतु जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला, तो तुम दुःखी हो गईं। तुम्हारी एक सहेली ने तुम्हारे दुःख का कारण पूछा, तो तुमने कहा कि मैंने सच्चे मन से भगवान शिव का वरण किया है, किन्तु मेरे पिता ने मेरा विवाह विष्णुजी के साथ तय कर दिया है। मैं विचित्र धर्मसंकट में हूं। अब मेरे पास प्राण त्याग देने के अलावा कोई और उपाय नहीं बचा।
तुम्हारी सखी बहुत ही समझदार थी। उसने कहा-प्राण छोड़ने का यहां कारण ही क्या है? संकट के समय धैर्य से काम लेना चाहिए। भारतीय नारी के जीवन की सार्थकता इसी में है, कि जिसे मन से पति रूप में एक बार वरण कर लिया, जीवनपर्यन्त उसी से निर्वाह करें। मैं तुम्हें घनघोर वन में ले चलती हूं जो साधना स्थल भी है और जहां तुम्हारे पिता तुम्हें खोज भी नहीं पाएंगे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि ईश्वर अवश्य ही तुम्हारी सहायता करेंगे।
तुमने ऐसा ही किया। तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए। इधर तुम्हारी खोज होती रही, उधर तुम अपनी सहेली के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मेरी आराधना में लीन रहने लगीं। तुमने रेत के शिवलिंग का निर्माण किया। तुम्हारी इस कठोर तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन हिल उठा और मैं शीघ्र ही तुम्हारे पास पहुंचा और तुमसे वर मांगने को कहा तब अपनी तपस्या के फलीभूत मुझे अपने समक्ष पाकर तुमने कहा, ‘मैं आपको सच्चे मन से पति के रूप में वरण कर चुकी हूं। यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर यहां पधारे हैं, तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लीजिए। तब ‘तथास्तु’ कहकर मैं कैलाश पर्वत पर लौट गया।
उसी समय गिरिराज अपने बंधु-बांधवों के साथ तुम्हें खोजते हुए वहां पहुंचे। तुमने सारा वृतांत बताया और कहा कि मैं घर तभी जाउंगी अगर आप महादेव से मेरा विवाह करेंगे। तुम्हारे पिता मान गए औऱ उन्होने हमारा विवाह करवाया।
हरितालिका तीज नाम कैसे पड़ा
हरितालिका तीज व्रत का महिलाओं के लिए बड़ा महत्व हैं मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मनवांछित फल देता हूं। इस पूरे प्रसंग में तुम्हारी सखी ने तुम्हारा हरण किया था, इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत हो गया।
हरितालिका तीज व्रत का महत्व
इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।
सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मनवांछित वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत रखती हैं। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा कर पूरा श्रृंगार करती हैं।
शिव के लिए केले का मंडप
पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी-शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।
हरितालिका तीज व्रत में शयन है निषेध
इस व्रत को करने वाली महिलाओं या कन्याओं को शयन नहीं करना चाहिए। इस व्रत में रात में भजन कीर्तन करने का विधान है। प्रातःकाल स्नान करने के बाद पूरे श्रद्धा भाव के साथ किसी सुपात्र सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री, कपड़े, खाद्य सामग्री, फल और अपनी सामर्थ अनुसार चीजें दान कर सकते हैं। इस पूजा में रेत या मिट्टी के शिवलिंग बनाए हैं उनका जलाशय में विसर्जन करके खीरा खाकर व्रत का पारायण करें।
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ऐसे पड़ा हरितालिका तीज व्रत का नाम
“हरि” का अर्थ होता है अपहरण (हर लेना) – यानी इस व्रत की कथा के अनुसार माता पार्वती जी की सहेलियों ने उनका अपहरण (हरि) कर लिया था, ताकि वे अपने पिता द्वारा जबरन दिए जाने वाले विवाह से बच सकें।
“तालिका” का अर्थ है सखी या सहेली
सहेलियों ने ही माता पार्वती को जंगल में ले जाकर भगवान शिव की पूजा करने और कठोर तप करने में मदद की थी।
तीज का संबंध तृतीया तिथि से है
यह व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है, इसलिए इसे “तीज” कहा जाता है।
इस तरह “हरि + तालिका + तीज” नाम बना, जिसका मतलब हुआ
सहेलियों द्वारा अपहरण कर ले जाने वाली तृतीया का व्रत।
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