हाइलाइट्स
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बिलासपुर हाईकोर्ट ने तलाक केस में सुनाया फैसला
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पत्नी को ताना मारना और अलग रहना पड़ा भारी
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कोर्ट ने पति को दिया तलाक, टिप्पणी भी की
Chhattisgarh High Court Decision: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक तलाक मामले में पति को तलाक देते हुए पत्नी के खिलाफ फैसला सुनाया है। साथ ही कोर्ट ने कहा, यदि पति आर्थिक कठिनाई के दौर से गुजर रहा हो तो उसे बेरोजगार कहकर ताने देना मानसिक क्रूरता है और परित्याग की श्रेणी में आता है।
वकील पति को मिला तलाक
हाल ही में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने तलाक से जुड़े एक मामले में नया फैसला सुनाया है, जिसके बाद पति-पत्नी के विवादों में तलाक का एक और आधार जुड़ गया है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि पति आर्थिक कठिनाई के दौर से गुजर रहा हो तो उसे बेरोजगार कहकर ताने मारना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने ये फैसला दुर्ग के 52 साल के वकील को तलाक देते हुए पत्नी के खिलाफ फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने यह भी कहा…
दरअसल, अक्टूबर 2023 में छत्तीसगढ़ की पारिवारिक अदालत (Family Court) ने एक तलाक याचिका खारिज कर दी थी, जिसे बाद में हाई कोर्ट ने भी रद्द कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाई कोर्ट ने माना कि पत्नी का व्यवहार बिना कारण घर छोड़ना, आर्थिक संकट में ताने देना और सुनवाई में अनुपस्थित रहना हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act) के तहत क्रूरता और परित्याग की श्रेणी में आता है।
कोर्ट ने कहा, इस तरह का व्यवहार विवाह संबंध तोड़ने के लिए पर्याप्त है। यह आदेश जस्टिस राजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने सुनाया।
क्या है पूरा मामला ?
जानकारी के मुताबिक, दंपति का विवाह 26 दिसंबर 1996 को भिलाई में हुआ था। उनके दो बच्चे हैं, 19 साल की बेटी और 16 साल का बेटा है। पति ने पत्नी को पीएचडी पूरी करने और स्कूल प्रिंसिपल की नौकरी पाने में मदद की थी।
वकील की दलील के मुताबिक, पत्नी छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती थी और महामारी के दौरान आय रुकने पर ताने देती थी। अगस्त 2020 में विवाद के बाद वह बेटी को लेकर घर छोड़ गई, जबकि पति और बेटा उसे मनाने गए, लेकिन उसने लौटने से मना कर दिया।
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कोर्ट की टिप्पणी और फाइनल आदेश
16 सितंबर 2020 से पति-पत्नी दोनों अलग रह रहे हैं। कोर्ट ने माना कि विवाह अब “अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुका” है। पत्नी का बार-बार सुनवाई से अनुपस्थित रहना भी विवाह रिश्ता समाप्त करने की मंशा दिखाता है।
खंडपीठ ने कहा, “पति या पत्नी का व्यवहार, जिसमें लगातार ताने, अनुचित मांगें या मौखिक विवाद शामिल हों, मानसिक क्रूरता माना जा सकता है।” अदालत ने विवाह को शून्य घोषित करते हुए तलाक की डिक्री जारी कर दी।
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