Chhattisgarh Coal Project Dispute: अंबिकापुर (Ambikapur) में आयोजित प्रेसवार्ता में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव (TS Singh Deo) ने स्पष्ट कहा कि हसदेव क्षेत्र में नए कोल ब्लॉक (Coal Block) से रामगढ़ पहाड़ और जोगीमाड़ा गुफा का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि खदान की मंजूरी के लिए गलत रिपोर्ट बनाई गई और ऐतिहासिक धरोहर से दूरी को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
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ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का केंद्र
रामगढ़ पहाड़ (Ramgarh Pahad) और जोगीमाड़ा गुफा (Jogimara Cave) केवल ऐतिहासिक धरोहर ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था से भी जुड़ी हैं। यहां हर वर्ष रामनवमी पर लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। आदिवासी और वनवासी समाज की पीढ़ियों से इस क्षेत्र से गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यही कारण है कि स्थानीय लोग लगातार खदान का विरोध कर रहे हैं।
खदान मंजूरी पर उठाए सवाल
सिंहदेव ने कहा कि 2020 में तत्कालीन कलेक्टर ने खदान की दूरी रामगढ़ मंदिर (Ramgarh Mandir) से न दिखाकर सीताबेंगरा (Sitabangra) से 11 किलोमीटर बताई थी। अब भी रिपोर्ट में वही गलती दोहराई गई है। जबकि वास्तविक दूरी रामगढ़ पहाड़ से महज 8.1 किलोमीटर और जोगीमाड़ा से 9.3 किलोमीटर है। उन्होंने चुनौती दी कि अगर उनका दावा गलत है तो नई मापी कराई जाए।
पर्यावरण को भी भारी नुकसान
प्रस्तावित खदान क्षेत्र में लगभग 4.5 लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे। सिंहदेव ने कहा कि इस खदान से सिर्फ एक उद्योगपति को फायदा मिलेगा, लेकिन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के पर्यावरण को भारी नुकसान होगा। यहां का घना जंगल और वन्यजीव भी प्रभावित होंगे।
पहाड़ी दरक रही, नया मंदिर बन रहा
सिंहदेव ने बताया कि कोयला खदान में हो रही ब्लास्टिंग से रामगढ़ की पहाड़ी में दरारें आ गई हैं और लैंडस्लाइड होने लगा है। यही वजह है कि प्रशासन ने रामगढ़ पहाड़ी के नीचे नया राम मंदिर (New Ram Mandir) बनाना शुरू किया है, ताकि भविष्य में लोगों को पुराने मंदिर की तरफ जाने से रोका जा सके।
पूर्व सरकार ने लगाई थी रोक
भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की पूर्व सरकार ने लेमरू एलीफेंट प्रोजेक्ट (Lemru Elephant Project) क्षेत्र का विस्तार कर खदान की अनुमति रोक दी थी। अब फिर से मंजूरी की प्रक्रिया तेज की जा रही है। सिंहदेव ने चेतावनी दी कि अगर यह खदान खुली तो रामगढ़ की धरोहर हमेशा के लिए मिट जाएगी।
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