न्यायिक और गैर न्यायिक विभाजन से नाराज तहसलीदार और नायब तहसीलदार 13 दिन के काम बंद के बाद अब काम पर लौट आए हैं.. अफसरों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज पेंडिग हो चुके 6 हजार से ज्यादा केसों को निपटाने का है.. ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बहुत सारे जमीन से संबंधित केस लोकस सेवा केंद्रो के तहत दर्ज होते हैं.. अगर समय पर केसों का समाधान न हुआ तो अफसरों के खिलाफ 250 रूपए प्रति दिन का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है… हालांकि, कई अफसर ऐसे भी हैं जो छुट्टी के दिन भी दफ्तर पहुंच रहे हैं… पेंडिंग केसों को निपटाने का काम भी बड़ा ही जोर-शोर से चल रहा है… राजधानी भोपाल में रोजाना नामांतरण, सीमांकन, फौती नामांतरण, बंटवारा, मूल निवासी, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, ई डब्ल्यूएस समेत 500 केस आते हैं.. आपको बता दें कि, मध्यप्रदेश में तहसीलदार-नायब तहसीलदारों की अघोषित हड़ताल के 13 दिन चली थी.. अफसर न हड़ताल पर थे और न ही अवकाश लिए थे.. लेकिन काम बंद था.. इसके बाद तहसीलदार-नायब तहसीलदारों के संघ ने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव से मुलाकात की थी.. इसके बाद काम फिर से शुरू हो पाया था.. काम बंद से से सिर्फ भोपाल जिले में 2177 मामले पेंडिंग हो गए थे.. वहीं प्रदेशभर में करीब 95 हजार राजस्व से जुड़े सभी प्रकार के मामले लंबित थे.. तहसीलदार और नायब तहसीलदार न्यायिक-गैर न्यायिक कार्य विभाजन के आदेश को लेकर विरोध कर रहे थे..