हाइलाइट्स
- सभी राज्य आक्रामक कुत्तों को शेल्टर होम भेजें: Supreme Court
- सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने पर रोक: Supreme Court
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस: Supreme Court
Supreme Court Order Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि शेल्टर होम में रखे गए आवारा कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ा जाएगा, लेकिन रेबीज से संक्रमित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को शेल्टर होम में ही रखा जाएगा। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया है।
फैसले के मुख्य बिंदु
नसबंदी और टीकाकरण: पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी स्थान पर छोड़ दिया जाएगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था।
शेल्टर होम में रखे जाएंगे: रेबीज से संक्रमित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाएगा।
सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने पर रोक: कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगाई है, इसके लिए अलग से भोजन क्षेत्र बनाए जाएंगे।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस: कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस फैसले के पालन के लिए नोटिस जारी किया है।
आपको बता दें 14 अगस्त को दिल्ली-NCR की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाकर स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखने को लेकर जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन वी अंजारिया की तीन सदस्यीय स्पेशल बेंच ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। खतरनाक कुत्तों को खाना देने पर बैन कर दिया गया है।
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शीर्ष अदालत ने आवारा कुत्तों के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि पकड़े गए कुत्तों को जल्द ही छोड़ दिया जाएगा, लेकिन उन्हें पहले नसबंदी कराई जाएगी। केवल बीमार और आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखा जाएगा। इसके अलावा, अदालत ने निर्देश दिया है कि हर कम्युनिटी ब्लॉक में आवारा कुत्तों के लिए अलग से खाने की जगह निर्धारित की जाएगी। लोगों को केवल इन निर्धारित स्थानों पर ही कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति होगी, सार्वजनिक स्थानों पर नहीं। ऐसा न करने पर कार्रवाई की जाएगी।
क्या है निर्देश में
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक कुत्ता प्रेमी और एनजीओ जो इस मामले में शामिल हैं, उन्हें सात दिनों के भीतर कोर्ट की रजिस्ट्री में क्रमशः ₹25,000 और ₹2 लाख जमा करने होंगे। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें इस मामले में आगे पेश होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह निर्देश कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया है, जिसमें आवारा कुत्तों के मुद्दे पर चर्चा की जा रही है।
क्या दिए महत्वपूर्ण निर्देश
1. आवारा कुत्तों को छोड़ने की शर्तें: टीकाकरण, कृमिनाशक और नसबंदी के बाद आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों से छोड़ा जाएगा, लेकिन रेबीज से संक्रमित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा।
2. भोजन के लिए निर्धारित स्थान: आवारा कुत्तों के लिए भोजन के निर्धारित स्थान बनाए जाएंगे और सड़कों पर भोजन देने की अनुमति नहीं होगी। सड़कों पर कुत्तों को भोजन देते पाए जाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
3. हेल्पलाइन की स्थापना: प्रत्येक नगर निगम को उल्लंघन की सूचना देने के लिए समर्पित हेल्पलाइन स्थापित करनी होगी।
4. पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की भूमिका: पशु अधिकार कार्यकर्ताओं को बाधाएँ उत्पन्न नहीं करनी चाहिए और उन्हें सहयोग करना होगा।
5. कुत्ता प्रेमियों और एनजीओ के लिए निर्देश: प्रत्येक कुत्ता प्रेमी और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले प्रत्येक गैर-सरकारी संगठन को क्रमशः ₹25,000 और ₹2 लाख का भुगतान करना होगा।
6. गोद लिए गए कुत्तों के लिए नियम: गोद लिए गए किसी भी कुत्ते को सड़कों पर वापस नहीं भेजा जाएगा।
7. राष्ट्रीय नीति का गठन: न्यायालय सभी राज्यों की सुनवाई के बाद आवारा कुत्तों के संबंध में एक राष्ट्रीय नीति तैयार करेगा
क्या था 11 अगस्त का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को आवारा कुत्तों के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि कुत्तों के काटने की समस्या नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, खासकर अनुच्छेद 19(1)(d) और 21 के तहत। कोर्ट ने दिल्ली में कुत्तों के काटने के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई, जहां 2024 में 25,000 से अधिक मामले और जनवरी 2025 में 3,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए।
कोर्ट की टिप्पणी और पशु कार्यकर्ताओं का विरोध
कोर्ट ने अपने आदेश में पशु कार्यकर्ताओं की आलोचना की और कहा कि वे मूल समस्या की अनदेखी करते हुए “सदाचार प्रदर्शन” में लिप्त हैं। इस आदेश के बाद पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। मामला मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने आश्वासन दिया कि इस मुद्दे की जांच की जाएगी। CJI ने मामले को तीन न्यायाधीशों की नई पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया, ताकि आवारा कुत्तों पर परस्पर विरोधी निर्देशों की संभावना को रोका जा सके।
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