Ayushman Yojana Government Employee Benefits: मध्यप्रदेश के 12 लाख सरकारी कर्मचारी अब तक लंबे स्वस्थ जीवन जीने के लिए तरस रहे हैं। जबकि इस वादे को छह साल बित चुके हैं। इस बीच एमपी के दो सीएम बदल गए। मोहन यादव भी अपना वादा भूल रहे हैं, ऐसे में कर्मचारी अब तक आयुष्मान नहीं हो पाए हैं।
कैशलेस स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान’ की घोषणा 2019 में कमल नाथ सरकार ने की थी। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में हुई कैबिनेट में कर्मचारियों को हर साल 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य लाभ देने पर सहमति बनी थी। इसी फैसले के बाद, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर 9 फरवरी, 2024 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक 9-सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति को यह तय करना था कि शासकीय और संविदा कर्मचारियों को आयुष्मान भारत निरामयम योजना के तहत कैसे शामिल किया जाए। हालांकि, अब तक इस कमेटी ने कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है।
MP सरकार पर कितना भार ?
2019 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने ‘कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना’ को मंजूरी दी थी। इस योजना को लागू करने पर राज्य सरकार पर उस समय 756.56 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार आने का अनुमान था। अब तक योजना में अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है।
कौन होंगे स्कीम के लिए पात्र ?
- शासकीय कर्मचारी
- संविदा कर्मचारी
- शिक्षक
- नगर सैनिक
- स्वशासी संस्थान के कर्मचारी
- इस योजना के पात्र हैं।
- निगम-मंडल के कर्मचारी
- अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी
- के लिए ये योजना वैकल्पिक थी।
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कर्मचारियों को कितना लाभ ?
- साधारण बीमारियों के लिए 5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज।
- गंभीर बीमारियों के लिए 10 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज।
- स्कीम में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी शामिल करने का प्रावधान था।
अभी इलाज की क्या है व्यवस्था
क्या है स्वास्थ्य प्रतिपूर्ति (रिम्बर्समेंट) ?
– पहले अपने इलाज का खर्च खुद उठाना है, जिसके बाद वे प्रतिपूर्ति (रिम्बर्समेंट) के लिए अपने विभाग में आवेदन करते हैं।
– इस प्रक्रिया के लिए डॉक्टर, मेडिकल बोर्ड या डायरेक्टर हेल्थ व मेडिकल एजुकेशन का अनुमोदन लेना अनिवार्य है।
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अस्पताल में भर्ती की क्या प्रक्रिया ?
– यदि कर्मचारी अस्पताल में भर्ती होता है, तो 5 लाख रुपये तक के क्लेम को संभागीय स्तर के सरकारी अस्पताल के डीन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा मंजूरी दी जाती है।
– 5 लाख से 20 लाख रुपये तक के क्लेम के लिए संचालक स्वास्थ्य सेवा की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा प्रतिपूर्ति को मंजूरी दी जाती है।
आउटडोर पेशेंट की क्या प्रक्रिया ?
– यदि कोई सरकारी कर्मचारी या उसका परिजन बाह्य रोगी के रूप में इलाज कराता है, तो उसे एक साल में अधिकतम 20,000 रुपये तक की प्रतिपूर्ति मिल सकती है।
– यदि इलाज लगातार चल रहा है, तो तीन महीने में 8,000 रुपये से अधिक का रिम्बर्समेंट नहीं मिलेगा।
– इस प्रकार के इलाज के लिए जिला मेडिकल बोर्ड की मंजूरी आवश्यक है।
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