Gariaband News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) कर्मचारियों की हड़ताल का असर अब गंभीर रूप से सामने आने लगा है। गरियाबंद जिला चिकित्सालय (Gariaband District Hospital) में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही की एक चौंकाने वाली तस्वीर वायरल हुई।
जिसमें अस्पताल की महिला गार्ड (Female Guard) एक महिला मरीज को इंजेक्शन (Injection) लगाती दिख रही है। यह मामला सामने आते ही हड़कंप मच गया और शासन-प्रशासन (Administration) की फजीहत होने लगी।
कलेक्टर ने थमाया शोकॉज नोटिस
फोटो वायरल होते ही गरियाबंद कलेक्टर (Collector) बीएस उइके (B.S. Uike) ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) यूएस नवरत्ने (U.S. Navratne) और सिविल सर्जन (Civil Surgeon) यशवंत कुमार ध्रुव (Yashwant Kumar Dhruv) को शोकॉज नोटिस (Showcause Notice) जारी किया है।
कलेक्टर ने तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा है और स्पष्ट कर दिया है कि संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नोटिस में उठाए गए सवाल
कलेक्टर ने नोटिस में पूछा है कि जब एनआरएचएम (NRHM) कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए आवश्यक स्वास्थ्य सुविधा बहाल रखने का निर्देश पहले ही दिया गया था, तो उसके बाद भी जिला अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा स्टाफ (Emergency Medical Staff) की पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
उन्होंने साफ कहा कि महिला गार्ड द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाने का यह दृश्य न केवल चिकित्सा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासन की छवि को भी धूमिल कर रहा है।
पूर्व पार्षद ने किया खुलासा
दरअसल, यह घटना दो दिन पुरानी है। जिला अस्पताल पहुंचे एक पूर्व पार्षद (Former Councillor) ने देखा कि महिला गार्ड मरीज को इंजेक्शन लगा रही है।
जब उन्होंने डॉक्टरों से इस बारे में पूछा तो उन्हें जवाब मिला कि महिला गार्ड अक्सर इंजेक्शन लगा लेती है। यह सुनकर पूर्व पार्षद ने इसका फोटो और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल कर दिया।
सरकार और प्रशासन पर सवाल
इस घटना ने शासन और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एनआरएचएम हड़ताल की वजह से पहले ही स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हैं, वहीं अब गार्ड द्वारा मरीजों को इंजेक्शन लगाने जैसी घटनाएं आम लोगों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती हैं।
जिले के लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि जब सरकारी अस्पताल (Government Hospital) पर ही भरोसा नहीं किया जा सकता, तो ग्रामीण और गरीब तबके के मरीज कहां जाएं।
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