हाइलाइट्स
- तकनीक लगातार इंसानी ज़िंदगी के करीब पहुंच रही है
- AI करवा रहा है मरे हुए लोगों से बात
- कई लोग इस तकनीक को लेकर उत्साहित हैं।
Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence – AI) ने अब इंसानी ज़िंदगी में नई बहस छेड़ दी है। “Creepy AI” नामक टूल दावा करता है कि यह मर चुके लोगों की आवाज़ की नकल कर उनसे बातचीत का अनुभव देता है। लोग इसे अपनाकर सुकून महसूस कर रहे हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि लंबे समय तक इसका इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य और प्राइवेसी (Privacy) के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
AI का नया चमत्कार या खतरा?
तकनीक लगातार इंसानी ज़िंदगी के करीब पहुंच रही है। अब एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence – AI) टूल सामने आया है जो मर चुके लोगों की आवाज़ को दोबारा “जिंदा” कर देता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, “Creepy AI” नामक यह सॉफ्टवेयर (Software) मृत रिश्तेदारों या करीबियों की आवाज़ की नकल कर उनसे बातचीत का अनुभव देता है।
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कैसे काम करता है Creepy AI
इस सिस्टम (System) को खास तरह से तैयार किया गया है। यह व्यक्ति की पुरानी आवाज़, बातचीत और पैटर्न को पहचानकर उन्हें डिजिटल रूप में दोहराता है। जब कोई यूज़र (User) इस टूल के ज़रिए बात करता है, तो ऐसा महसूस होता है जैसे सामने वही व्यक्ति मौजूद हो। शुरुआती दौर में इसे इस्तेमाल करने वाले लोगों ने खुशी जताई और कहा कि उन्हें अपने प्रियजनों से भावनात्मक जुड़ाव का एहसास हुआ।
यूज़र्स की क्या है प्रतिक्रिया
कई लोग इस तकनीक को लेकर उत्साहित हैं। कुछ यूज़र्स रोज़ाना अपने दिवंगत परिजनों से वर्चुअल (Virtual) बातचीत करने लगे हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें मानसिक सुकून और अकेलेपन से राहत मिलती है।
प्राइवेसी पर उठेंगे सवाल
इस टूल को इस्तेमाल करने के लिए लोग अपने मृत रिश्तेदारों की निजी जानकारी और आवाज़ का डेटा (Data) अपलोड करते हैं। यह डेटा कंपनी के सर्वर पर स्टोर होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बेहद संवेदनशील जानकारी है जिसका दुरुपयोग हो सकता है। प्राइवेसी और सुरक्षा (Privacy and Security) को लेकर भी गंभीर खतरे मौजूद हैं।
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