हाइलाइट्स
- एमपी हाईकोर्ट में ओबीसी बैकलॉग पदों पर सुनवाई
- उच्च शिक्षा विभाग भर्ती पर पारदर्शिता पर सवाल
- अगली सुनवाई 9 सितंबर 2025 को होगी
MP Higher Education Department Recruitment: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department Recruitment) की भर्ती को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। एक याचिका दायर कर ओबीसी वर्ग (OBC Reservation in MP) के बैकलॉग पदों में हेराफेरी का गंभीर आरोप लगाया गया है। कोर्ट ने इस पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में यदि कोई नियुक्ति होती है तो वह इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगी।
कोर्ट का अंतरिम आदेश और अगली सुनवाई
जस्टिस एमएस भट्टी (Justice MS Bhatti) की एकलपीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार (MP Government) और मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर 2025 को होगी।
याचिकाकर्ताओं के आरोप
यह याचिका सागर निवासी लीलाधर लोधी, दीपक सिंह ठाकुर, इंदौर निवासी शुभम चौधरी, प्रेमलता, बालाघाट निवासी खुशबू चौरसिया समेत अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और हितेंद्र गोहलानी ने दायर की है।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि—
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने 30 दिसंबर 2024 को उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) में अंग्रेजी विषय के सहायक प्राध्यापक (Assistant Professor Recruitment) के लिए विज्ञापन जारी किया।
इस विज्ञापन में 2019 के पहले के ओबीसी वर्ग के कुल 31 बैकलॉग पद शामिल कर दिए गए।
जबकि 30 दिसंबर 2022 को जारी एक अन्य भर्ती विज्ञापन में अंग्रेजी विषय के 200 पद घोषित किए गए थे, जिसमें ओबीसी वर्ग के बैकलॉग पद शामिल नहीं थे।
चयन प्रक्रिया पर सवाल
याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि 2022 की भर्ती परीक्षा में वे शामिल हुए थे, लेकिन आयोग ने उन्हें साक्षात्कार में कम अंक देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। साथ ही कई ओबीसी अभ्यर्थियों को 13 फीसदी रिजर्वेशन में होल्ड कर दिया गया है।
बड़ा सवाल: ओबीसी बैकलॉग पदों में हेराफेरी?
मामले में मुख्य आरोप यह है कि आयोग ने अलग-अलग भर्ती विज्ञापनों में ओबीसी बैकलॉग पदों (OBC Backlog Posts in MPPSC) को मनमाने तरीके से शामिल और बाहर किया। इससे न केवल पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं बल्कि ओबीसी उम्मीदवारों के साथ अन्याय का आरोप भी लगाया जा रहा है।
नतीजा और आगे की राह
फिलहाल कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जब तक मामला लंबित है, तब तक की जाने वाली नियुक्तियां (Appointments in Higher Education Department) इस याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर करेंगी। अब सभी की निगाहें 9 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
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