MP Tahsildar Protest: मध्यप्रदेश में तहसीलदार-नायब तहसीलदारों की अघोषित हड़ताल (विरोध) सोमवार, 18 अगस्त को भी जारी रहा। ये प्रशासनिक अधिकारी 6 अगस्त से न्यायिक और गैर न्यायिक कार्य विभाजन का विरोध कर रहे हैं। जनता के कामों से इन अफसरों ने खुद को अलग कर लिया है। इस पर सरकार ने सभी कमिश्नर्स को आज (सोमवार, 18 अगस्त) से काम नहीं करने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इसे लेकर मप्र कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारी और संघ के कई जिलों के अध्यक्षों ने राहत भवन में राजस्व आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव से मुलाकात की। फिलहाल, पहले दौर की चर्चा में काम पर लौटने को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है। दूसरे दौर की चर्चा होना है।
राजस्व आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव से मप्र कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के 55 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। बताते हैं कुछ बातों पर सहमति बनी है, जबकि कुछ पर चर्चा होना है। संघ के अनुसार अभी हड़ताल खत्म नहीं हुई।
संभागायुक्तों को कार्रवाई के निर्देश
राजस्व विभाग के अवर सचिव संजय कुमार ने 14 अगस्त को सभी संभागायुक्तों को सिविल सेवा नियमों के तहत कर्मचारियों और अधिकारियों (तहसीलदार-नायब तहसीलदारों) पर कार्रवाई करने के निर्देश हैं। इसके बाद चूंकि सरकारी छुट्टियां लग गईं, इसलिए पिछले पांच दिनों में सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। सोमवार, 18 अगस्त को भी तहसीलदार-नायब तहसीलदारों ने काम बंद रखा।
भोपाल में जनता से जुड़े 500 मामले आते हैं रोज
जानकारी के अनुसार, भोपाल की तहसीलों में नामांतरण, सीमांकन, फौती नामांतरण, मूल निवासी, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस सहित करीब 500 से ज्यादा मामले रोजाना में आते हैं। इसके अलावा हर दिन करीब 300 केसों में तहसीलदार, नायब तहसीलदार सुनवाई करते हैं। इस वजह से विरोध के शुरुआती दो दिन में ही 600 से ज्यादा केस की पेशियां आगे बढ़ा दी गई थीं। बताते हैं अब तक पेंडिंग केस का आंकड़ा 6 हजार तक पहुंच गया है।
न्यायिक-गैर न्यायिक विभाजन का विरोध कर रहे थे
भोपाल में बैरागढ़, कोलार, एमपी नगर, शहर वृत्त, बैरसिया और टीटी नगर तहसील हैं। तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के कार्य को न्यायिक और गैर न्यायिक में विभाजित किया है। यानी, जो अधिकारी न्यायिक कार्य कर रहे हैं, वे फिल्ड में नहीं रहेंगे। इसी तरह जो अधिकाकरी फिल्ड के काम संभालेंगे, उन्हें न्यायिक कार्य नहीं कर सकेंगे। तहसीलदार और नायब तहसीलदार इस व्यवस्था का ही विरोध कर रहे थे।
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