हाइलाइट्स
- रीजेंसी हॉस्पिटल पर 18.5 लाख की लूट का आरोप
- मरीज की मौत के बाद भी 1.5 लाख का ‘बोनस बिल’
- BJP विधायक ने CM को लिखी शिकायत, जांच शुरू
रिपोर्ट : अनुराग श्रीवास्तव कानपुर
Kanpur Regency Hospital Bill Scam: कानपुर में एक बार फिर साबित हो गया कि बीमारी से ज्यादा खतरनाक है अस्पतालों का बिल! रीजेंसी हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर मरीजों का खून चूसने का घिनौना धंधा सामने आया है। डॉक्टर, जिन्हें कलयुग का भगवान माना जाता है, अब बेईमानी और लालच के रास्ते पर उतर आए हैं। मरीज की जान बचाने की जगह, उनकी जेब पर डाका डाला जा रहा है। इस मामले ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है, और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये अस्पताल हैं या लूट का अड्डा?
‘कस्टमर रिटेंशन’ या जानलेवा जिद?
रीजेंसी हॉस्पिटल के डॉ. ए.के. सिंह और डॉ. निर्मल पांडे पर संगीन आरोप लगे हैं। इन डॉक्टरों ने एक मरीज से मात्र 17 दिन में 18.5 लाख रुपये वसूल लिए। परिजनों की बार-बार गुहार के बावजूद, मरीज को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने की इजाजत नहीं दी गई। डॉक्टरों ने धमकी भरे अंदाज में कहा, “अगर ले गए तो मरीज को कुछ भी हो सकता है।” और आखिरकार, वही हुआ—मरीज की मौत! लेकिन लूट का सिलसिला यहीं नहीं रुका। मरीज की मौत के बाद भी अस्पताल ने 1.5 लाख रुपये का अतिरिक्त “बोनस बिल” थमा दिया। शायद ये था उनका ‘आफ्टर डेथ सर्विस चार्ज’!
मुख्यमंत्री तक पहुंची थी लूट की शिकायत
इस अस्पताल द्वारा की जा रही लूट के मामले ने कुछ समय पूर्व भी उस वक़्त तूल पकड़ा था जब भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने रीजेंसी हॉस्पिटल की लूट की शिकायत को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था । विधायक ने अपने पत्र में साफ कहा लिखा था कि कानपुर में रीजेंसी हॉस्पिटल मरीजों के साथ खुलेआम डकैती कर रहा है। उन्होंने मरीजों की लूट और अस्पतालों की मनमानी पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
विधायक का कहना था कि, “ये अस्पताल मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनकी जिंदगी और जेब दोनों को तबाह कर रहे हैं। ये लूट का धंधा अब और नहीं चल सकता।” उनके द्वारा कुछ समय पूर्व भेजे गए इस शिकायती पत्र ने इस मामले को और गंभीर बना दिया था, और उस शिकायत से भी जोड़कर ये मामला देखा जा रहा है, और अब पूरे प्रदेश की नजर इस पर टिकी है।
न्याय की उम्मीद या फिर एक और ‘बिलिंग ड्रामा’?
परिजनों के हंगामे और पूर्व में विधायक द्वारा की जा चुकी शिकायत के मद्देनजर CMO हरिदत्त नेमी ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। लेकिन सवाल ये है कि क्या इस जांच से पीड़ित परिवार को इंसाफ मिलेगा, या ये भी बस एक और ‘बिलिंग रिपोर्ट’ बनकर रह जाएगी? कानपुर के लोग गुस्से में हैं और जवाब मांग रहे हैं कि आखिर कब तक अस्पतालों का ये लूटतंत्र चलता रहेगा?
कानपुर में अस्पताल या डकैती का अड्डा?
यह मामला सिर्फ एक मरीज की कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की चीख है, जो इलाज के नाम पर लूटे जा रहे हैं। जब डॉक्टर ही मरीज की जान से ज्यादा बिल को प्राथमिकता देने लगें, तो आम आदमी भरोसा कहां करे? भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री तक पहुंचाकर एक उम्मीद जगाई है, लेकिन क्या ये उम्मीद हकीकत में बदलेगी? रीजेंसी हॉस्पिटल की इस शर्मनाक हरकत ने कानपुर के स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोल दी है। अब देखना ये है कि क्या इस लूट के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होगी, या ये सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
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