हाइलाइट्स
- शिवपुरी में आंगनबाड़ी भर्ती प्रक्रिया में रिश्वतखोरी।
- रिश्वत मामले में महिला CDPO को पद से हटाया।
- साइन कराने के लिए रिश्वत मांगने का वीडियो वायरल।
MP Shivpuri Anganwadi Bharti Rishwat Case: मध्यप्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग में चल रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका पदों की भर्ती प्रक्रिया अब विवादों में घिरती जा रही है। एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले सामने आने लगे हैं। शिवपुरी जिले की महिला बाल परियोजना अधिकारी (CDPO) नीलम पटेरिया पर आंगनबाड़ी पदों की नियुक्तियों में रिश्वत मांगने का आरोप लगा है, जिस पर कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा दिया है। महिला अधिकारी ने एसडीएम और सीईओ की साइन कराने के नाम पर 25 हजार रुपए की मांग की थी।
इससे पहले नरवर के CDPO कार्यालय में एक पर्यवेक्षक को रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त की टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इस बीच, अधिकारी नीलम पटेरिया (Child Development Project Officer) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। अब इस मामले ने विभाग की पारदर्शिता और भर्ती प्रक्रिया की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब इस कलेक्टर ने मामले में जांच पोहरी एसडीएम मोतीलाल अहिरवार को सौंपी है।
मंत्री चौहान ने लगाए थे भर्ती में रिश्वतखोरी के आरोप
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री नागर सिंह चौहान ने आंगनवाड़ी की भर्ती में रिश्वतखोरी के आरोप लगा चुके हैं। कुछ दिनों पहले मंत्री नागर सिंह चौहान ने महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया में धांधली और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि दलालों के जरिए पैसा लेकर नौकरियां दिलाने का खेल चल रहा है।
मंत्री चौहान ने कहा था उन्हें इस मामले में कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें आरोप है कि कुछ कर्मचारी और बिचौलिये मिलकर भर्ती के नाम पर रिश्वत वसूल रहे हैं। उन्होंने कहा, “भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई जगहों पर दलाल घूमते देखे गए हैं, जो पैसों के बदले नौकरी पक्की कराने का दावा कर रहे हैं।”
आंगनवाड़ी भर्ती में रिश्वतखोरी के बढ़ते मामले
दरअसल, कुछ दिन पहले शिवपुरी जिले के नरवर में महिला एवं बाल विकास विभाग के बाल परियोजना अधिकारी कार्यालय में ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने बड़ी कार्रवाई की थी। इस दौरान एक महिला पर्यवेक्षक अनीता श्रीवास्तव को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। उसने एक उम्मीदवार से आंगनवाड़ी में नौकरी दिलाने के एवज में रिश्वत मांगी थी।
CDPO नीलम पटेरिया ने क्या कहा?
अब इसी तरह का एक और मामला शिवपुरी के पोहरी क्षेत्र से सामने आया है। यहां महिला बाल परियोजना अधिकारी (CDPO) नीलम पटेरिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वह नियुक्ति प्रक्रिया में अधिकारियों की साइन कराने के लिए पैसों की डिमांड करती हुई नजर आ रही हैं।
वीडियो में नीलम पटेरिया दो ग्रामीणों से आंगनबाड़ी की भर्ती को लेकर बातचीत कर रही हैं। बातचीत के दौरान एक व्यक्ति 25 हजार रुपए की बात करता है, जिस पर पटेरिया कहती हैं,
“एसडीएम और सीईओ के साइन कराने के लिए लिफाफे तो देना ही पड़ते हैं।”
इतना ही नहीं, वह आगे यह भी कहती हैं कि,
“वहां से फाइनल नहीं होता, ऑर्डर तो जिले से निकलता है। लेकिन जिले वाले तो नाग बनकर बैठे हैं… सबसे बड़ी परेशानी यही है। ”
इस वीडियो में पटेरिया यह स्वीकार करती भी सुनाई देती हैं कि,
“अगर हमें मेरिट बनानी होती, तो पहले ही 50 लोगों की सेटिंग कर चुके होते।”
वीडियो में पटेरिया कह रही हैं कि हमें मेरिट बनानी होती तो 50 लोगों की पहले से सेटिंग करके बैठे होते।
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पद से हटाई गई अधिकारी नीलम पटेरिया
जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) धीरेंद्र जादौन ने जानकारी दी है कि पोहरी की महिला बाल परियोजना अधिकारी (CDPO) नीलम पटेरिया को रिश्वत से जुड़ी शिकायतों और वायरल वीडियो के आधार पर पद से हटा दिया गया है।
इस मामले में कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने गंभीरता दिखाते हुए जांच का जिम्मा पोहरी एसडीएम मोतीलाल अहिरवार को सौंपा है। डीपीओ का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी है, ऐसे में इस तरह की मामले अस्वीकार्य हैं।
रिश्वत का दूसरा वीडियो किसका है?
शिवपुरी जिले में आंगनबाड़ी भर्ती में भ्रष्टाचार के मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। पोहरी की महिला बाल परियोजना अधिकारी (CDPO) नीलम पटेरिया के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों के बीच अब उनके घर का एक और वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में पोहरी सीडीपीओ कार्यालय से रिटायर्ड बाबू सुरेश शर्मा भी बैठे नजर आ रहे हैं, जिससे मामले में मिलीभगत की आशंका और गहराती जा रही है।
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भर्ती प्रक्रिया के लिए ली जा रही लाखों में रिश्वत
मामले में शिकायतकर्ता पृथ्वीपाल जादौन ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पोहरी क्षेत्र में 118 सहायिका और 18 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। आरोप है कि इन पदों पर चयन के लिए सहायिका पद के लिए 1 लाख और कार्यकर्ता पद के लिए 2 लाख रुपये तक की रिश्वत वसूली जा रही है।
नरवर रिश्वतकांड में कौन-कौन हुआ निलंबित?
नरवर सीडीपीओ में पर्यवेक्षक अनीता श्रीवास्तव को ग्वालियर लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। इस कार्रवाई के बाद जब फरियादी सीडीपीओ कार्यालय में रिश्वत की रकम देने पहुंचा, तो बाबू अजय तिवारी की नाराजगी सामने आई। आरोप है कि बाबू भी इस खेल में शामिल था।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए पर्यवेक्षक अनीता श्रीवास्तव और बाबू अजय तिवारी, दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर पिछोर अटैच कर दिया है। इन मामलों ने महिला एवं बाल विकास विभाग की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विभाग में पारदर्शिता और ईमानदारी के दावे अब वीडियो सबूतों और शिकायतों के बीच संदिग्ध नजर आ रहे हैं।