हाइलाइट्स
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ग्वालियर में परिवार के 3 लोगों ने पाई अनुकंपा नियुक्ति
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बड़े बेटे ने जिंदा पिता को मृत बताकर पहले नौकरी पाई
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बाद में बहू और छोटे बेटे की भी अनुकंपा नियुक्ति
MP Anukampa Niyukti Fraud: मध्यप्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति का एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस मामले से सभी हैरान हैं। मामला पीएचई विभाग से जुड़ा है। जिसमें एक ही परिवार को एक-दो नहीं तीन लोगों ने अनुकंपा नियुक्ति हासिल कर ली। इस फर्जीवाड़े में बेटों ने पिता को कागजों में मृत घोषित कर दिया।
क्या है पूरा मामला ?
जानकारी के अनुसार पीएचई विभाग ग्वालियर में भूप सिंह पंप अटेंडर की नौकरी करते थे। इसी दौरान उनके बड़े बेटे रवि ने कागजों में पिता (भूप सिंह) को मृत घोषित कर अनुकंपा नियुक्ति हासिल कर ली। इसके बाद रवि की मौत हो गई, तो उसकी पत्नी उमा राजपूत ने जोड़तोड़कर विभाग में अपनी अनुकंपा नियुक्ति करा ली। मामले में अभी फर्जीवाड़ा जारी था। इसी बीच पंप अटेंडर भूप सिंह वाकई में गुजर गए। जिस पर भूप सिंह के छोटे बेटे और रवि के भाई ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए अपना दावा किया।कुछ दिनों बाद छोटे बेटे को भी अनुकंपा नियुक्ति मिल गई। इस तरह एक ही परिवार तीन लोग नौकरी पा चुके।
बड़े बेटे ने पिता के रहते अनुकंपा नौकरी पाई
इस फर्जीवाड़े की शुरुआत पंप अटेंडर भूप सिंह के बड़े बेटे रवि ने की। रवि ने पिता के जिंदा रहते फर्जीवाड़ा कर अनुकंपा नियुक्ति हासिल की।
रवि की मौत पर पत्नी को मिली अनुकंपा नियुक्ति
रवि की मौत पर उनकी पत्नी उमा राजपूत को भी अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। इसके बाद उमा की नियुक्ति की जांच शुरू हुई। परत-दर-परत यह फर्जीवाड़ा खुलने लगा और अब पूरी तरह सामने आ चुका है। मामले की जांच भी हो चुकी है और उमा राजपूत को सेवा समाप्ति का नोटिस भी जारी किया गया है। अब विभाग के बड़े अफसरों पर सांठगांठ के आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि इतना बड़ा फर्जीवाड़े में कई अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।
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मप्र में हजारों आश्रित अनुकंपा की आश में
मप्र में हजारों परिवारों के आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं और उन्हें सरकार के अधिकारी-कर्मचारी इतने चक्कर लगवा रहे हैं कि वे थक कर घर बैठ गए हैं। बहुत कम उदाहरण होंगे, जिन्हें शासन ने बुलाकर अनुकंपा नियुक्ति दी होगी। केवल स्कूल शिक्षा विभाग में साल 2023-24 तक 4 हजार से ज्यादा कर्मचारी अनुकंपा नियुक्ति की आस में थे। मप्र में 56 विभाग हैं, अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने परिवारों के आश्रित अनुकंपा नियुक्ति से अब तक वंचित हैं।
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