Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के उस फैसले पर सख्त रुख अपनाया है जिसमें सीबीएसई (CBSE) से संबद्ध स्कूलों के छात्रों को ब्लॉक, जिला और राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने से रोक दिया गया है। इस मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा (Chief Justice Ramesh Sinha) और जस्टिस बीडी गुरु (Justice BD Guru) की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।
स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान (Suo Motu Cognizance) लेते हुए शासन को नोटिस जारी किया और शिक्षा विभाग के सक्षम अधिकारी से शपथपत्र पर विस्तृत जवाब (Detailed Reply on Affidavit) तलब किया है। कोर्ट ने इस फैसले को छात्रों के अधिकारों से जुड़ा हुआ गंभीर मामला माना है। अगली सुनवाई 11 अगस्त से शुरू होने वाले सप्ताह में निर्धारित की गई है।
क्या है मामला?
राज्य सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया था कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के छात्र राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिताओं (State Level School Sports Competitions) में भाग नहीं ले सकेंगे। इस फैसले का असर प्रदेश के करीब 600 निजी स्कूलों और 4 लाख से अधिक छात्रों पर पड़ा है। इससे पहले सत्र 2023–24 में भी ऐसा ही आदेश जारी हुआ था, जिसे छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन (Chhattisgarh Private School Management Association) के आग्रह पर वापस ले लिया गया था।
शासन की दलील, कोर्ट की आपत्ति
शासन के अधिवक्ता ने दलील दी कि जैसे सीबीएसई स्कूलों की स्पर्धा में राज्य बोर्ड के छात्र शामिल नहीं होते, उसी तरह राज्य स्तरीय खेल में भी सीबीएसई छात्रों को न शामिल किया जाए। साथ ही एक छात्र को “दोहरा लाभ” नहीं मिलना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने इस पर संतोषजनक उत्तर न मानते हुए विस्तृत और तथ्यात्मक जानकारी शपथपत्र के माध्यम से मांगी है।
बच्चों के भविष्य पर असर
इस फैसले से सीबीएसई स्कूलों के छात्र और उनके अभिभावक बेहद चिंतित हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि खेलों में भागीदारी उनके भविष्य से जुड़ी होती है। खेल कोटे से कॉलेजों में प्रवेश और छात्रवृत्ति जैसे लाभों पर यह निर्णय सीधा असर डालता है। ऐसे में कोर्ट का यह हस्तक्षेप छात्रों के लिए राहत की उम्मीद बनकर सामने आया है।
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