हाइलाइट्स
- विधानसभा में गूंजा गुना जिले के फर्जी हास्पिटल का मुद्दा।
- सदन में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने उठाया मुद्दा।
- डिप्टी सीएम के जवाब से खुली स्वास्थ्य विभाग की पोल।
Madhya Pradesh Hospital Funding Scam Case: मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक ऐसे अस्पताल को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से 48 लाख 70 हजार रुपए की राशि मंजूर कर दी गई, जो अस्तित्व में ही नहीं है। यहां न ही डॉक्टर और न कोई स्टॉफ, फिर भी गरीबों के इलाज के नाम पर पैसों का भुगतान कर दिया गया। इस गंभीर फर्जीवाड़े का खुलासा विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह (Congress MLA Jaiwardhan Singh) द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में हुआ।
सदन में बताया गया कि गुना के मकसूदनगढ़ में भोपाल सिटी हॉस्पिटल के नाम पर सीएम स्वेच्छानुदान से राशि मंजूर कर दी हैं, जबकि इस नाम का अस्पताल है ही नहीं। विधानसभा में कांग्रेस विधायक के सवालों का जवाब देते हुए डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने स्वीकार किया कि फर्जी बिल लगाकर बड़ी रकम निकाली गई है। उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन कर दिया गया है, जो जल्द ही रिपोर्ट सौंपेगा।
सदन में गूंजा फर्जी अस्पताल का मुद्दा
गुना में मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान योजना के तहत ऐसे अस्पताल के नाम पर 48.70 लाख रुपए की इलाज सहायता राशि मंजूर की गई, जो असल में अस्तित्व में ही नहीं है। न अस्पताल था, न डॉक्टर, न स्टाफ, फिर भी गरीब मरीजों के नाम पर लाखों का भुगतान कर दिया गया। यह चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा विधानसभा सत्र के दौरान सामने आया, जब कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने जानकारी साझा की।
भोपाल सिटी हॉस्पिटल के नाम पर फर्जीवाड़ा
बताया गया कि गुना जिले के मकसूदनगढ़ में कथित तौर पर ‘भोपाल सिटी हॉस्पिटल’ के नाम पर पिछले 10 महीनों से फर्जीवाड़ा चल रहा था। इसी दौरान अस्पताल के नाम पर मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से 48 लाख 70 हजार रुपए का भुगतान भी कर दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस गड़बड़ी की भनक तक नहीं लगी। शिकायत मिलने पर जब गुना के सीएमएचओ से जांच कराई गई, तो स्पष्ट हुआ कि ऐसा कोई अस्पताल वहां कभी था ही नहीं।
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फर्जी अस्पताल के नाम पर लाखों का भुगतान
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री राहत कोष से एक फर्जी अस्पताल के नाम पर 48 लाख 70 हजार रुपए का भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि “दो मरीज तो ऐसे भी सामने आए, जिन्होंने न तो मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए कोई आवेदन दिया और न ही उनके नाम इलाज कराने के लिए सीएम रिलीफ फंड में गया”
उन्होंने आगे बताया कि एक मरीज के नाम पर अस्पताल को 80 हजार रुपए दिए गए। ऐसा ही सिलसिला 19 जुलाई 2024 से 13 मई 2025 तक लगभग 10 महीनों तक चला। इस दौरान अलग-अलग मरीजों के नाम पर अस्पताल को बड़ी राशि मंजूर की गई। विधायक ने सवाल उठाया कि जब अस्पताल का कोई अस्तित्व ही नहीं है, न वहां कोई स्टाफ है, न डॉक्टर, तो फिर इतनी बड़ी रकम किन आधारों पर जारी की गई?
डिप्टी सीएम ने सदन में क्या जवाब दिया?
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने विधानसभा में जानकारी दी कि गुना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) द्वारा 9 जुलाई 2025 को एक चार सदस्यीय जांच समिति बनाई गई थी। इस टीम ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया, लेकिन मकसूदनगढ़ में ‘भोपाल सिटी हॉस्पिटल’ नाम का कोई अस्पताल संचालित होता नहीं पाया गया।
विधायक ने बड़ा सवाल उठाते हुए बताया कि “जांच शुरू होने से पहले ही अस्पताल के संचालक ने 4 अप्रैल 2025 को अस्पताल बंद करने का पत्र प्रशासन को सौंप दिया था। हैरानी की बात यह है कि अस्पताल बंद होने के बाद भी मई में राहत राशि जारी की गई, जो कि सीधे तौर पर गड़बड़ी को उजागर करता है।”