हाइलाइट्स
- सरकार ने ‘घरौनी कानून’ के मसौदे को दिया अंतिम रूप
- घर बनाने के लिए मिलेगा बैंकों से लोन
- लेखपाल उस भूमि पर मालिकाना हक की रिपोर्ट तैयार करेंगे
UP House loan: उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण इलाकों में आवासीय विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। जल्द ही प्रदेश के गांवों में रहने वाले लोगों को अपने मकान बनाने के लिए बैंकों से लोन मिल सकेगा, क्योंकि सरकार ने ‘घरौनी कानून’ के मसौदे को अंतिम रूप देने की दिशा में तेज़ी से कार्य शुरू कर दिया है। राजस्व, वित्त और न्याय समेत सभी संबंधित विभागों ने इस घरौनी अधिनियम के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है और जल्द ही यह मसौदा राज्य कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा। उसके बाद इसे आगामी विधानसभा सत्र में पेश कर कानून का रूप दिया जाएगा।
क्या है ‘घरौनी कानून’?
‘घरौनी कानून’ एक ऐसा प्रस्तावित कानून है जिसके तहत गांवों में स्थित अविवादित आबादी की जमीन पर मकान बनाने वालों को मालिकाना हक प्रदान किया जाएगा। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग ऐसे मकानों में रहते हैं, जिनकी भूमि पर मालिकाना अधिकार स्पष्ट नहीं होता। यही वजह है कि बैंक ऐसे मकानों के एवज में लोन देने से इनकार कर देते हैं। लेकिन नया कानून आने के बाद, अगर आपकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है और आप वहां मकान बना चुके हैं या बनाना चाहते हैं, तो बैंक आपको लोन दे सकेंगे, बशर्ते आपकी ‘घरौनी’ दस्तावेजी रूप में मान्य हो।
कैसे बनेगी ‘घरौनी’ और क्या होगी प्रक्रिया?
प्रस्तावित कानून के तहत घरौनी तैयार करने की पूरी प्रक्रिया प्रशासनिक स्तर पर तय की गई है, जिसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
- लेखपाल की रिपोर्ट:
यदि गांव में किसी व्यक्ति की आबादी भूमि पर स्थिति स्पष्ट है और वह अविवादित है, तो लेखपाल उस भूमि पर मालिकाना हक की रिपोर्ट तैयार करेंगे।
- कानूनगो की मंजूरी
लेखपाल की रिपोर्ट पर कानूनगो अपने दस्तखत करेंगे और उसे राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा।
- किस आधार पर बनेगी घरौनी?
- उत्तराधिकार (विरासत)
- बैनामा (Sale deed)
- गिफ्ट डीड
- सरकारी नीलामी से प्राप्त भूमि
- भूमि अधिग्रहण
- पंजीकृत वसीयत
- कोर्ट की डिक्री इन सभी आधारों पर भी कानूनगो को घरौनी तैयार करने का अधिकार होगा।
विभाजन के मामलों में भी सुविधा
यदि जमीन वारिसों के बीच बँटी है या विभाजन हुआ है, तो उसके अनुसार भी नाम दर्ज करने का अधिकार कानूनगो को दिया जाएगा।
तहसीलदार और एसडीएम की भूमिका
ऐसे मामलों में जिन पर कानूनी स्पष्टता नहीं है या जहां कोई अलग प्रकृति की स्थिति है, वहां पर तहसीलदार को मालिकाना हक तय करने का अधिकार होगा। अगर जमीन को लेकर कोई विवाद हो, तो लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार संयुक्त रूप से अपनी रिपोर्ट एसडीएम को सौंपेंगे। एसडीएम यह तय करेंगे कि जमीन विवादित है या नहीं। यदि वह विवादित घोषित कर दी गई, तो उस मामले में राजस्व विभाग कोई निर्णय नहीं करेगा और अंतिम निर्णय सिविल कोर्ट से होगा।
कोर्ट में मान्यता के लिए कानून जरूरी
गौरतलब है कि वर्तमान में जो घरौनी दस्तावेज तैयार किए गए हैं, वे केवल शासनादेश के तहत हैं, न कि कानून के तहत। इसी वजह से वे कोर्ट में मान्य नहीं होते और कानूनी रूप से कमजोर माने जाते हैं। इसी स्थिति को समाप्त करने और लोगों को कानूनी रूप से मजबूत स्वामित्व देने के लिए ‘घरौनी कानून’ को अधिनियम का रूप देने का निर्णय लिया गया है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, कैबिनेट की स्वीकृति के बाद इसे विधानसभा के मानसून सत्र में रखा जाएगा।
लोगों के लिए क्या होगा फायदा?
- घर बनाने के लिए आसानी से मिलेगा लोन:
बैंक अब उन ग्रामीण निवासियों को भी लोन दे सकेंगे जिनके पास मान्य घरौनी दस्तावेज होगा।
- स्वामित्व विवादों से राहत
स्वामित्व की स्थिति स्पष्ट होने से विवादों में भारी कमी आएगी।
- कानूनी सुरक्षा
ग्रामीण नागरिकों को अब उनके घर और जमीन पर पूरी कानूनी मान्यता मिलेगी।
- राजस्व रिकॉर्ड की शुद्धता
नए कानून में लिपिकीय त्रुटियों और मोबाइल नंबर जैसे विवरणों में भी संशोधन की सुविधा दी गई है, जिससे रिकॉर्ड ज्यादा सटीक और अद्यतन रहेंगे।
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