Raipur Cyclists conquer Umling La: छत्तीसगढ़ के दो साइकिलिस्ट सुरेश दुआ और मानव खुराना ने हाल ही में दुनिया की सबसे ऊंची साइकिल यात्रा पूरी की। यह यात्रा थी उमलिंग ला (Umling La), जो समुद्री तल से 19024 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यूथ हॉस्टल एसोसिएशन इंडिया (Youth Hostel Association India) द्वारा आयोजित इस साहसिक यात्रा में इन दोनों साइकिलिस्टों ने अपनी जबरदस्त शारीरिक क्षमता और मानसिक दृढ़ता का परिचय दिया। यात्रा की शुरुआत 17 जुलाई 2025 को लेह से हुई थी, और 28 जुलाई को यह यात्रा समाप्त हुई।
यात्रा की शुरुआत
यात्रा की शुरुआत 20 जुलाई को लेह से हुई थी। पहले तीन दिन को साइकिलिस्टों ने जलवायु अनुकूलन (Acclimatization) के लिए रखा था, क्योंकि यह यात्रा अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों से गुजर रही थी। इन शुरुआती दिनों में साइकिलिस्टों ने 62 किलोमीटर की दूरी तय करके शारा गांव, फिर 80 किलोमीटर की दूरी तय कर चुमाथांग, और 45 किलोमीटर की यात्रा के बाद न्योमा तक पहुंचे। यह यात्रा समुद्र तल से ऊंचाई के लिहाज से बहुत चुनौतीपूर्ण थी, जहां इन दोनों को साइकिल चलाने के साथ-साथ जलवायु की कठोर परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ा।
उमलिंग ला तक का सफर
इस कठिन यात्रा (Raipur Cyclists conquer Umling La) के दौरान साइकिलिस्टों ने 80 किलोमीटर की दूरी तय करके हनले, फिर 50 किलोमीटर का सफर तय कर चिसुमले तक पहुंचने के बाद उमलिंग ला पास को अपनी मंजिल बना लिया। समुद्र तल से 19024 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान तक पहुंचना अपने आप में एक अद्वितीय अनुभव था। साइकिल चलाने का जो आनंद इस यात्रा में था, वह वाकई अविस्मरणीय था। साइकिलिस्टों ने इस सफर को एक जन्नत (Paradise) जैसा अनुभव बताया, क्योंकि प्राकृतिक सौंदर्य और ठंडे मौसम में साइकिल चलाना एक अलग ही उत्साह पैदा करता है।
मौसम की चुनौती और कठिन चढ़ाई
यात्रा के दौरान साइकिलिस्टों को 7-8 डिग्री सेल्सियस जैसे तापमान का सामना करना पड़ा, जिससे उनका शरीर और मन दोनों ही चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे थे। हालांकि, इस कड़ी मेहनत और कठिनाई ने उनके साहस को और भी मजबूत किया। साथ ही इस यात्रा में सिंधु नदी (Indus River) का साथ मिलने से यह सफर और भी रोमांचक और सुखद हो गया।
अनुभवी साइकिलिस्टों ने किया यात्रा पूरी
इस यात्रा में सुरेश दुआ और मानव खुराना दोनों ने अपने बेहतरीन अनुभवों का उपयोग किया। सुरेश दुआ, जो एनआईटी रायपुर (NIT Raipur) में कार्यरत हैं, अब तक 75 हजार किलोमीटर से अधिक साइकिल चला चुके हैं। वहीं, मानव खुराना, जो एक स्टूडेंट हैं, 22 हजार किलोमीटर साइक्लिंग कर चुके हैं। इन दोनों का यह कारनामा छत्तीसगढ़ के साइकिलिंग समुदाय में एक प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। दोनों ही यूथ हॉस्टल और टूर द रायपुर के सक्रिय सदस्य हैं, और इस यात्रा में अपनी क्षमता और साहस का प्रमाण पेश किया।
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उमलिंग ला तक पहुंचने का गर्व
28 जुलाई को यात्रा की समाप्ति हुई, और दोनों साइकिलिस्टों ने उमलिंग ला पास (Umling La Pass) तक अपनी यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस यात्रा ने न केवल उनकी शारीरिक सहनशक्ति को चुनौती दी, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें और मजबूत किया। यह यात्रा न केवल साइकिलिंग प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो मुश्किल हालातों में अपनी मंजिल प्राप्त करना चाहते हैं।
इस प्रकार की यात्रा से यह सिद्ध होता है कि अगर इंसान में दृढ़ निश्चय और साहस हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। सुरेश और मानव की यह यात्रा छत्तीसगढ़ के साइकिलिंग समुदाय और भारत के युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा बन गई है। इस प्रकार की यात्रा समाज को यह संदेश देती है कि प्राकृतिक सुंदरता के बीच शारीरिक और मानसिक कड़ी मेहनत से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।
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