भ्रष्टाचार के खिलाफ कलम उठाने वाले बीजापुर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की आवाज को खामोश कर दिया गया…सड़क निर्माण में गड़बड़ियों का भंडाफोड़ करने पर मुकेश चंद्राकर की बेरहमी से हत्या कर दी गई…चौंकाने वाली बात ये है कि गिरफ्तार आरोपी महज 24 घंटे में ही बेल पर बाहर आ गए…अब सवाल ये है कि क्या सच्चाई लिखने की सजा मौत है…क्या न्याय का पैमाना सिस्टम की लीपा पोती की वजह से गड़बड़ाया है..