Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में चर्चित शराब घोटाले (Liquor Scam) के आरोपी कारोबारी अनवर ढेबर (Anwar Dhebar) को बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका मिला है। उन्होंने एसीबी (ACB) और ईओडब्ल्यू (EOW) द्वारा की गई गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताते हुए एफआईआर रद्द करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी।
इस घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई थी, जिसके आधार पर एसीबी ने एफआईआर दर्ज की। जांच में दावा किया गया है कि घोटाले की रकम 2000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।
क्या था अनवर ढेबर का पक्ष?
अनवर ढेबर ने याचिका में कहा कि उन्हें 4 अप्रैल को बिना किसी सूचना के हिरासत में लिया गया और परिवार को भी जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया में संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 (Article 21 and 22 of Constitution) का उल्लंघन हुआ है। उनके मुताबिक, उन्हें गिरफ्तारी का कारण (Grounds of Arrest), पंचनामा (Arrest Memo) और केस डायरी की कॉपी (Case Diary Copy) नहीं दी गई।
उन्होंने यह भी मांग की कि विशेष न्यायाधीश द्वारा 5 और 8 अप्रैल को दिए गए पुलिस रिमांड आदेशों को रद्द किया जाए, क्योंकि गिरफ्तारी प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की गाइडलाइनों का पालन नहीं किया गया।
राज्य सरकार की दलील और कोर्ट का फैसला
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि यह सिर्फ एक तकनीकी त्रुटि का मामला नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये के राजस्व नुकसान (Revenue Loss) का मामला है। सरकारी शराब दुकानों से नकली होलोग्राम (Fake Holograms) लगाकर शराब बेची गई, जिससे शासन को भारी नुकसान हुआ।
सरकार ने बताया कि अनवर ढेबर की याचिका पहले भी दो बार खारिज हो चुकी है। हाईकोर्ट ने इस बार भी यह मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि यह गंभीर आर्थिक अपराध (Serious Financial Offense) है और इसमें दखल देने की कोई जरूरत नहीं।
ईडी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
ईडी (ED) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में एक सिंडिकेट काम कर रहा था, जिसमें आईएएस अनिल टुटेजा (IAS Anil Tuteja), आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी (A.P. Tripathi) और अनवर ढेबर शामिल थे। इनके माध्यम से प्रदेश भर में शराब व्यापार में भारी भ्रष्टाचार किया गया।