Durg Nun Arrest Case Update: छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो ननों की गिरफ्तारी ने सियासी हलकों में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस के छह सांसदों का प्रतिनिधिमंडल रविवार को इन ननों से मिलने पहुंचा और इसे धार्मिक अल्पसंख्यकों (Religious Minorities) के संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया। सांसदों ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि यह सिर्फ छत्तीसगढ़ नहीं, बल्कि बीजेपी शासित राज्यों में एक पैटर्न बनता जा रहा है।
केरल से आए सांसद बोले- ये अटैक है क्रिश्चियंस पर
केरल से सांसद एनके प्रेमचंदन (NK Premachandran) ने कहा कि इन ननों पर मानव तस्करी (Human Trafficking) और धर्मांतरण (Religious Conversion) के आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने बताया कि तीनों युवतियां जिनकी उम्र 21, 23 और 25 साल है, उन्हें नौकरी के लिए साथ ले जाया जा रहा था। बजरंग दल ने जबरदस्ती धर्मांतरण का आरोप लगाकर उन्हें जीआरपी के हवाले कर दिया।
सांसद प्रेमचंदन ने इसे अल्पसंख्यकों पर सुनियोजित हमला (Planned Attack on Minorities) करार दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के हमले ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और मणिपुर जैसे राज्यों में भी हो रहे हैं, और यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।
कल संसद में उठेगा मुद्दा
मुलाकात के बाद सांसदों ने कहा कि वे इस पूरी घटना की रिपोर्ट तैयार कर कांग्रेस हाईकमान को सौंपेंगे। इसके अलावा यह विषय सोमवार को लोकसभा में भी उठाया जाएगा। सांसदों ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात की मांग की है ताकि देशभर में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को रोका जा सके।
क्या है पूरा मामला?
25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दो ननों और एक युवक को रोकते हुए उन पर आरोप लगाया कि वे नारायणपुर जिले की तीन लड़कियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने स्टेशन पर नारेबाजी की और सभी को दुर्ग जीआरपी (Durg GRP) के हवाले कर दिया।
मामला भिलाई-3 थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां जांच के बाद धर्मांतरण कानून की धारा 4 (Section 4 of Religious Conversion Act) के तहत केस दर्ज कर तीनों को जेल भेज दिया गया।
सांसद बोले- बजरंग दल की गुंडागर्दी, पुलिस मूकदर्शक
सांसदों ने आरोप लगाया कि बजरंग दल (Bajrang Dal) की दबंगई के चलते कई अस्पताल और चैरिटेबल संस्थाएं परेशान हैं। प्रेमचंदन ने कहा कि एक महीने पहले दो प्रीस्ट्स पर हमला हुआ था, जो अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। लेकिन पुलिस छोटे-छोटे मामलों में एफआईआर दर्ज कर अपना काम खत्म मान लेती है।