हाइलाइट्स
- गुना जिला अस्पताल में भगवान भरोसे स्वास्थ्य व्यवस्थाएं।
- काम नहीं कर रहीं ICU और डायलिसिस मशीनें, मरीज परेशान।
- AC और लिफ्ट बंद, सीढ़ियों से ढोए जा रहे हैं बुजुर्ग मरीज।
गुना से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट।
Guna District Hospital System Fail: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुना सांसद हमेशा ही करोड़ों रुपए के विकास कार्य अस्पताल और अन्य कामों के लिए केंद्र और प्रदेश से लाते रहते हैं। सिंधिया की सक्रियता के बावजूद गुना जिला अस्पताल उस बजट के अनुरूप काम नहीं कर रहा। आईसीयू से लेकर डायलिसिस तक हर सुविधा ‘दिखावा’ बन चुकी है, जबकि जिम्मेदारी पूरी तरह गायब नजर आती है। अस्पताल में लापरवाही चरम पर है, जिसका खामियाजा मरीजों और तमीरदारों को भुगतना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन सरकार के मंशा पर पानी फेर रहा है। यह गुना से बंसल न्यूज की एक खास रिपोर्ट… कोई अफवाह नहीं बल्कि सच्चाई को सामने लाती है। गुना जिला अस्पताल की हालत ऐसी है कि यहां मरीजों को इलाज ही नहीं, न्याय के लिए भी तरसना पड़ रहा है।
सरकार की मंशा साफ, लेकिन जमीन पर नाकाम व्यवस्थाएं
गुना जिला अस्पताल में करोड़ों रुपये की आईसीयू और डायलिसिस यूनिटें स्थापित हैं, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते वे शोरूम की ऑब्जेक्ट की तरह नजर आ रही हैं। मशीनें खराब हैं, एसी और लिफ्ट बंद पड़ी है, मरीजों को परेशानी हो रही है। बुजुर्ग और मरीजों को सीढ़ियों से ऊपर-नीचे ले जाना पड़ रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी शायद इस समस्या पर ध्यान ही नहीं दे रहे।
“सरकार की मंशा ठीक है, बजट भी करोड़ों का है, लेकिन सवाल ये है कि गुना जिला अस्पताल के सही संचालन के लिए गंभीरता दिखाए कौन? ICU से लेकर डायलिसिस तक सब कुछ है, बस जिम्मेदार गंभीर नहीं है!… जिला अस्पताल में करोड़ों की मशीनें हैं, लेकिन सिस्टम ‘ऑटो मोड’ पर है और अफसर ‘स्लीप मोड’ में! बड़ा सवाल यह कि कि क्या अस्पताल यूं ही लुटता रहेगा?”
ICU और डायलिसिस यूनिट बनी शोपीस
डॉ. वीरेंद्र रघुवंशी के सिविल सर्जन बनने के बाद अस्पताल में कोई निगरानी नहीं की जा रही। ICU का गेट टूटा हुआ है, जिससे संक्रमण का खतरा बना है। मरीजों को इलाज कम और संक्रमण अधिक मिलता है। डायलिसिस यूनिट में तीनों एसी खराब हैं, मशीनें गर्मी और पानी रिसाव से जूझ रही हैं। लोगों का आरोप है कि सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र रघुवंशी ना कोई निगरानी कर रहे हैं और ना ही व्यवस्थाओं को लेकर नियंत्रण कर पा रहे हैं, नतीजा ये कि व्यवस्थाएं भगवान भरोसे चल रही है। लोगों का कहना है कि प्रबंधन से जुड़े अधिकारी मरीजों की समस्याओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
सिस्टम ‘ऑटो’, अफसर ‘स्लीप’ मोड में
जिले के 2500 से अधिक गांवों के मरीज इस यूनिट पर निर्भर हैं, लेकिन सिस्टम की लापरवाही और सुविधाओं की कमी के चलते उन्हें परेशानी का सामना पड़ रहा है। लोगों को इलाज के भटकना पड़ रहा है। डायलिसिस यूनिट में मरीज गर्मी से परेशान हैं और मशीनें भी खराब हालत में हैं। तीनों एसी बंद पड़े हैं, जिससे गर्मी और पानी रिसाव की दिक्कत हो रही है। मरीजों को डायलिसिस से पहले दम घुटने जैसी तकलीफ झेलनी पड़ रही है।
लिफ्ट बंद, मरीज हो रहे परेशान
बंसल न्यूज ने अस्पताल की हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई है। इस अस्पताल में एक लिफ्ट कभी चली ही नहीं, दूसरी महीनों से बंद पड़ी है। बुजुर्ग और मरीज सीढ़ियों से ऊपर-नीचे किए जा रहे हैं, जबकि जिम्मेदार अफसर शायद लिफ्ट बंद से सीधे निद्रा मोड में चले गए हों। हालत ये है किं लिफ्ट बंद होने से मरीजों और बुजुर्गों को परेशान होना पड़ता है, इन्हें सीढ़ियों से वार्ड या डॉक्टर तक पहुंचना पड़ता है।
मरीज बताते हैं कि उन्हें यहां सही इलाज नहीं मिल रहा है, उन्हें परेशान होना पड़ रहा है। एक मरीज मनोज रहवर कहते हैं, “यहां इलाज के नाम पर सिर्फ इंतजार मिलता है।” एक मरीज के परिजन ने बताया कि बुजुर्ग को कंधे पर उठाकर कहीं ले जाया गया। एक नर्स स्मिता पाल ने कहा, “हम रोज शिकायत करते हैं, सुनने वाला कोई नहीं।”
सवाल अब सिर्फ एक नहीं, कई हैं…
- क्या सिविल सर्जन अब भी आंखें मूंदे बैठे रहेंगे?
- क्या करोड़ों की लागत से बना अस्पताल यूं ही दम तोड़ता रहेगा?
- सरकार की नीयत साफ है, संसाधन भी हैं… तो फिर लापरवाही किसके नाम होगी?
जब मशीनें ठीक नहीं होतीं और अफसर सोए रहते हैं, तो सवाल उठता है: अस्पताल प्रणाली कब जागेगी? यह रिपोर्ट गुना अस्पताल की जिंदा हकीकत है, जहां इलाज कम और इंतजार और समस्याओं का अंबार ज्यादा दिखाई देता है।
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