हाइलाइट्स
- भोपाल में 75 हजार राशन कार्डधारकों ने नहीं लिया राशन।
- बीपीएल सूची में बड़ी संख्या में अपात्र लोगों के नाम।
- ई-केवायसी के बाद सामने आई सच्चाई।
Bhopal BPL ration card verification: भोपाल जिले में 75,000 से अधिक लाभार्थी पिछले छह महीनों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकानों से राशन लेने नहीं पहुंचे हैं। यह आंकड़ा विभागीय जांच में सामने आया है, जिससे इस बात की आशंका गहराने लगी है कि बड़ी संख्या में अपात्र लोगों के नाम बीपीएल सूची में दर्ज हैं। से सच्चाई ई-केवायसी के बाद उजागर हुई है। ई‑केवायसी अभियान में अपूर्ण जानकारी वाले 81 हजार से अधिक लोगों की पहचान की गई है।
खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस स्थिति का खुलासा हाल ही में की गई ई-केवाईसी प्रक्रिया के बाद हुआ है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार अब ऐसे सभी संदिग्ध कार्डधारियों की डोर-टू-डोर जांच की जाएगी। यदि पुष्टि होती है कि लाभार्थी अपात्र हैं या वे वास्तविक रूप से पात्र नहीं हैं, तो उनके बीपीएल राशन कार्ड रद्द किए जाएंगे। इस कार्रवाई का उद्देश्य वास्तव में जरूरतमंद और पात्र परिवारों को ही सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित कराना है।
6 माह क्यों नहीं लिया राशन?
भोपाल जिले में बड़ी संख्या में राशन कार्डधारक पिछले कई महीनों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से राशन नहीं ले रहे हैं। खाद्य विभाग के अनुसार, 75,000 से अधिक लाभार्थियों ने छह महीनों से राशन नहीं उठाया, और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ई-केवाईसी (नो योर कस्टमर) प्रक्रिया पूरी न होना है।
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ई-केवाईसी ने खोली सच्चाई
खाद्य आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, भोपाल की 23 लाख से अधिक आबादी में से 3.42 लाख परिवारों के लगभग 14.48 लाख लोग नियमित रूप से राशन ले रहे हैं। यहां 400 से अधिक राशन दुकानों से हर माह 12 करोड़ रुपए का राशन बांटा जाता है, लेकिन ई-केवाईसी अपडेट के दौरान सामने आया कि कई लाभार्थी सिस्टम से बाहर हो गए हैं।
राज्यभर में यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 जनवरी 2025 तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से करीब 5.53 करोड़ लोग जुड़े हुए थे। लेकिन अब यह संख्या घटकर 5.32 करोड़ रह गई है। यानी लगभग 20 लाख लाभार्थियों को योजना से बाहर कर दिया गया है।
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सूचना के बावजूद प्रक्रिया से दूर
खाद्य विभाग का कहना है कि भोपाल में अब भी 81,000 से अधिक लाभार्थियों ने अपने आधार की ई-केवाईसी नहीं कराई है। विभाग की सूचना का असर नहीं दिख रहा है। सूचना देने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग अब भी प्रक्रिया के प्रति उदासीन हैं।
जांच में जुटीं विशेष टीमें
खाद्य आपूर्ति विभाग ने इस पूरे मामले की गहराई से पड़ताल के लिए विशेष जांच टीमें गठित की हैं, जो घर-घर जाकर पता लगाएंगी कि—
- क्या यह फर्जी लाभार्थियों का मामला है?
- या फिर लोगों ने स्थान बदल दिया है (पलायन)?
- या फिर केवाईसी न होने की वजह से अस्थायी रूप से योजना से बाहर हैं?
सरकार के सामने बड़ी चुनौती
सरकार को अपात्र लाभार्थियों को योजना से बाहर करना है, लेकिन उसके साथ ही यह भी चिंता है कि कहीं कोई असली जरूरतमंद गलती से इस योजना से वंचित न हो जाए। इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार लाभार्थियों के पते और पहचान का विस्तृत ऑडिट करेगी, ताकि पात्रता की सही पुष्टि की जा सके।