National Parents Day 2025: हमारे माता-पिता ने पूरी जिंदगी हमारे लिए काम किया, हमें पाल-पोसकर बड़ा किया, हमारी हर जरूरत को खुद से ऊपर रखा। लेकिन जब वे बुजुर्ग हो जाते हैं और रिटायरमेंट के बाद घर पर अकेले रह जाते हैं, तो उन्हें सबसे ज्यादा किसी चीज की जरूरत होती है तो वह है ‘साथ’। अकेलापन धीरे-धीरे उनके दिल और दिमाग पर असर डालता है, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर होने लगते हैं। ऐसे में हमारा ये फर्ज बनता है कि हम न सिर्फ उनका ध्यान रखें, बल्कि उनका भावनात्मक सहारा भी बनें।
अपने व्यस्त शेड्यूल के बीच में कैसे अपने माता-पिता के लिए वक्त निकालें ताकि उन्हें ये न लगे कि नौकरी लगने और शादी होने के बाद उनके बच्चे बदल गए हैं। आज 27 जुलाई नेशनल पेरेंट्स डे पर पर आपको बता रहे हैं कि बुज़ुर्ग माता-पिता का सहारा कैसे बनें और उनका अकेलापन दूर करने के लिए क्या करें।
समय देना सबसे बड़ी सेवा है
भले ही हम आज कितने भी व्यस्त क्यों न हों, लेकिन अपने माता-पिता के साथ रोज़ थोड़ा समय बिताना बहुत ज़रूरी है। दिन में 15-20 मिनट भी अगर आप उनके साथ बैठकर बातचीत करेंगे, तो उन्हें लगेगा कि वे अकेले नहीं हैं।
- उनके साथ चाय पीना
- पुराने किस्से सुनना या उनसे अपने बचपन की बातें करना
- साथ में खाना खाना
ये छोटे-छोटे पल उन्हें बहुत सुकून देंगे।
टेक्नोलॉजी का सहारा, दूरी को करे कम
अगर आप किसी दूसरे शहर या देश में रहते हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि आप उनके करीब नहीं रह सकते।
- उन्हें वीडियो कॉल करना
- व्हाट्सएप पर फोटो या मैसेज भेजना
- उन्हें स्मार्टफोन चलाना सिखाना
ये सब चीज़ें उन्हें आज की दुनिया से जोड़ती हैं और उन्हें अकेला महसूस नहीं होने देतीं। इसलिए रोजाना समय निकाल कर अपने माता-पिता से बात जरूर करें।
दोस्तों और समाज से जोड़ें
बुज़ुर्गों का समाज से जुड़ाव बना रहना बहुत ज़रूरी होता है। इसलिए-
- पास की किसी सत्संग मंडली, सीनियर सिटीजन क्लब या सामाजिक ग्रुप से उन्हें जोड़ें
- मंदिर, पार्क या सामुदायिक केंद्र में उनका आना-जाना बढ़ाएं
- उनके पुराने दोस्तों से मिलने-जुलने के मौके दें
इससे उनकी सोच सकारात्मक बनी रहेगी और वे ऊर्जावान महसूस करेंगे।
उनकी पसंद का ध्यान रखें
बुज़ुर्ग माता-पिता की कुछ अपनी पसंद-नापसंद होती हैं।
- अगर उन्हें संगीत पसंद है तो उनके लिए पुराने गानों की प्लेलिस्ट बनाएं
- अगर उन्हें बागवानी पसंद है तो घर के आंगन में कुछ पौधे लगाने में मदद करें
- टीवी पर उनके पसंदीदा शो साथ में देखें
इन छोटी-छोटी बातों से उन्हें लगता है कि आप उनकी भावनाओं की कद्र करते हैं।
उन्हें ज़िम्मेदारी दें, बोझ नहीं
उम्र चाहे जो भी हो, इंसान को तब तक अच्छा लगता है जब तक उसे लगता है कि उसकी ज़रूरत है।
- बच्चों की पढ़ाई में उनका अनुभव लें
- रसोई या घर के किसी छोटे काम की ज़िम्मेदारी सौंपें
- घर की छोटी समस्याओं पर उनकी राय लें
इससे उन्हें लगेगा कि वे अब भी परिवार का अहम हिस्सा हैं।
मेडिकल जरूरतों का रखें खास ध्यान
बुज़ुर्गों की सेहत में छोटी सी चूक भी बड़ी समस्या बन सकती है।
- नियमित मेडिकल चेकअप कराना
- दवाइयों की समय पर उपलब्धता
- हेल्थ इंश्योरेंस की व्यवस्था
ये सब चीजें मानसिक शांति देती हैं और उन्हें अकेला या असुरक्षित महसूस नहीं होने देतीं।
बच्चों को जोड़ें दादा-दादी से
बच्चे अगर दादा-दादी या नाना-नानी के करीब होंगे तो बुज़ुर्ग खुद को खुश और व्यस्त रखेंगे।
- बच्चों को कहानियां सुनाना
- साथ में खेलना या पढ़ाना
- त्यौहारों पर पारंपरिक बातें सिखाना
ये रिश्ते बुज़ुर्गों की जिंदगी में नई ऊर्जा लाते हैं।
सुनें, समझें और अपनाएं
कई बार वे कुछ कहेंगे जो हमें सही न लगे, लेकिन हमें समझना होगा कि उनका नज़रिया एक अनुभव की आंख से आता है।
- उनकी बातों को टालें नहीं
- उन्हें ‘पुरानी सोच’ कहकर अनदेखा न करें
- उनकी सलाह को सम्मान दें
इससे वे खुद को उपेक्षित महसूस नहीं करेंगे।
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