Chhattisgarh (CG) school book delay: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh School Textbook Delay) में नया शैक्षणिक सत्र (Academic Session 2025-26) शुरू हुए एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन राज्य के सरकारी स्कूलों (Government Schools in Chhattisgarh) में अब तक सभी कक्षाओं के लिए पाठ्य पुस्तकें (School Textbooks) नहीं पहुंच पाई हैं। इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है, जिससे अभिभावक और शिक्षक दोनों चिंतित हैं।
कक्षा 1 और 6 को ही मिलीं पूरी पुस्तकें
फिलहाल स्कूलों (Cg school book delay) में कक्षा 1 और 6 को छोड़कर अन्य कक्षाओं के छात्रों को पिछले सत्र की पुरानी किताबें (Old Textbooks) बांटी जा रही हैं। कई स्कूलों में किताबें उपलब्ध ही नहीं हैं, जबकि जो पुस्तकें पहुंची हैं, उनमें स्कैनिंग और वितरण की प्रक्रिया में गड़बड़ियाँ (Scanning and Distribution Issues) सामने आई हैं।
यू-डायस डेटा और पुराने स्टॉक पर आधारित रही छपाई
इस बार किताबों की छपाई पुराने यू-डायस (UDISE Data Based Printing) डेटा और पिछले वर्ष के बचे स्टॉक को ध्यान में रखकर कराई गई, लेकिन इस दौरान नए एडमिशन और छात्र संख्या में आए बदलाव (Increase in Enrollments) को ध्यान में नहीं रखा गया। नतीजतन कई स्कूलों में पर्याप्त संख्या में किताबें नहीं पहुंच पाईं।
राज्य शासन ने पुरानी किताबें बांटने का दिया निर्देश
मौजूदा संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों (District Education Officers – DEOs) को निर्देश दिया है कि जब तक नई किताबें नहीं आतीं, तब तक छात्रों को पुरानी किताबें वितरित की जाएं (Instruction to Distribute Old Books)। लेकिन प्रबंधन की खामियों के कारण यह प्रक्रिया भी धीमी चल रही है।
बस्तर और अन्य विकासखंडों में सबसे ज्यादा संकट
बस्तर (Bastar Region Schools) सहित सात विकासखंडों और आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों (Atmanand English Medium Schools) में स्थिति और भी गंभीर है। जहां प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की किताबें अभी तक नहीं पहुंच (Cg school book delay) सकी हैं। इससे त्रैमासिक परीक्षाओं (Quarterly Exams) की तैयारी में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।
जल्द पहुंचेंगी 98 हजार किताबें: DEO
जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल का कहना है कि जल्द ही 98 हजार किताबें (98,000 Textbooks Delivery Soon) स्कूलों में भेजी जाएंगी। हालांकि वास्तविक स्थिति यह है कि स्कूलों में एक महीने से ज्यादा समय से छात्र पुराने पाठ्यक्रम की किताबों से पढ़ने को मजबूर हैं।
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