हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के आदेश पर नहीं लगाई रोक
- कावड़ियों के रूट पर ढाबा मालिकों को QR कोड पर बतानी होगी पहचान
- पिछले साल बिगड़ गई थी प्रदेश कानून-व्यवस्था
Kanwar Yatra QR Code: कांवड़ यात्रा के दौरान ढाबों और रेस्त्रां पर QR कोड (QR Code) के माध्यम से पहचान जानने की सुविधा जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और उत्तराखंड (Uttarakhand) सरकार को इस मामले में बड़ी राहत दी है। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन.के. सिंह की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर है और सभी ढाबा, रेस्त्रां मालिक कानून नियमों का पालन करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का तर्क और सरकार की दलील
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हमें बताया गया है कि आज यात्रा का अंतिम दिन है। बहरहाल, निकट भविष्य में इसके समाप्त होने की संभावना है, इसलिए इस समय हम केवल यह आदेश पारित करेंगे कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के आदेश का पालन करें। हम स्पष्ट करते हैं कि हम अन्य विवादित मुद्दों पर विचार नहीं कर रहे हैं।” कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि नियमों के तहत उपभोक्ता राजा (Consumer is King) है।
इससे पहले, यूपी सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी थी कि यह आदेश कानून व्यवस्था (Law and Order) समेत तमाम पहलुओं को ध्यान में रखकर जारी किया गया था। उन्होंने बताया कि पिछले साल इसी तरह के मुद्दों के चलते कांवड़ियों द्वारा ढाबों में तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद पुलिस ने यह आदेश जारी किया था। रोहतगी ने यह भी कहा कि वे केवल एक केंद्रीय कानून का पालन कर रहे हैं जो पूरे देश पर लागू होता है, सिर्फ कांवड़ यात्रा पर नहीं।
याचिकाकर्ताओं के आरोप
याचिकाकर्ताओं, प्रोफेसर अपूर्वानंद और एक्टिविस्ट आकार पटेल, ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा रूटों पर ढाबों और रेस्त्रां मालिकों की पहचान सार्वजनिक करने संबंधी सभी निर्देशों पर रोक लगाने की मांग की थी। उनका तर्क था कि ये निर्देश पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के खिलाफ हैं, जिसमें कहा गया था कि ढाबा मालिकों को अपनी पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि नए निर्देश, जिनमें QR कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है, धार्मिक भेदभाव (Religious Discrimination) को बढ़ावा देने और कोर्ट के आदेश को दरकिनार करने के लिए हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यात्रा के अंतिम चरण को देखते हुए इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है, लेकिन ढाबा मालिकों को लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के वैधानिक नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है।
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