Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ की नदियों के सूखते उद्गम स्थल अब न्यायिक नजरों में हैं। बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश की नदियों के स्रोत (River Source) आखिर क्यों सूख रहे हैं, इसका वैज्ञानिक कारण पता किया जाए और इसके लिए एक विशेष कमेटी (Special Committee) का गठन किया जाए।
19 नदियों के लिए बनेगी संरक्षण कमेटी
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रदेश की 19 प्रमुख नदियों की पहचान कर उनके संरक्षण (River Conservation) और संवर्धन के लिए स्थायी प्रयास किए जाएं। इसके तहत राज्य सरकार एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी जो इन नदियों के वास्तविक उद्गम स्थलों की तलाश करेगी।
राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हों सभी नदी स्रोत
अभी तक कई नदियों के उद्गम स्थल राजस्व रिकॉर्ड (Revenue Records) में ‘नाले’ (Drain) के रूप में दर्ज हैं। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए सभी नदियों और उनके स्रोतों को आधिकारिक रिकॉर्ड में सही तरीके से दर्ज करने का आदेश दिया है। इससे भविष्य में अतिक्रमण और पर्यावरणीय नुकसान की रोकथाम की जा सकेगी।
हाईटेक सर्वे के लिए 2.60 करोड़ की मांग खारिज
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने नदियों के हाईटेक सर्वे (High-tech Survey) के लिए 2.60 करोड़ रुपये की राशि मांगी थी, जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पहले मूलभूत जानकारियां जुटाई जाएं। कोर्ट का मानना है कि नदियों के संरक्षण के लिए ठोस योजना जरूरी है, न कि केवल आंकड़ों का महंगा विश्लेषण।
अरपा नदी समेत 9 नदियों के लिए पहले से चल रही योजना
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि बिलासपुर की अरपा नदी (Arpa River) और प्रदेश की अन्य 9 नदियों के पुनर्जीवन के लिए पहले से कार्य योजनाएं (Revival Plan) बनाई जा रही हैं। साथ ही सरकार ने इस बात पर भी सहमति जताई कि नई कमेटी गठित कर नदियों के स्रोतों की पहचान और संरचना सुनिश्चित की जाएगी।
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