हाइलाइट्स
- बाढ़ से मणिकर्णिका घाट जलमग्न
- छतों पर चिताएं जलाने को मजबूर लोग
- लकड़ी व्यापारियों को भारी नुकसान
Varanasi Flood Alert: वाराणसी की मोक्षदायिनी मां गंगा इस समय रौद्र रूप में हैं। काशी का पवित्र मणिकर्णिका घाट, जिसे जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है, इस बार बाढ़ की चपेट में पूरी तरह से आ गया है। गंगा के बढ़ते जलस्तर ने घाटों को निगल लिया है, और अब वहां अंतिम संस्कार के लिए चिताएं घाट की छतों पर जल रही हैं।
घाट जलमग्न, छतों पर अंतिम संस्कार
बाढ़ के कारण मणिकर्णिका घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। घाट पर शवदाह के लिए बनाए गए सभी स्थल पानी में डूब गए हैं। ऐसे में अब छतों को ही वैकल्पिक शवदाह स्थल बनाया गया है। शवयात्रा के लिए आने वाले लोग कमरभर पानी में चलकर मृत देह को घाट की छत तक पहुंचा रहे हैं।
लकड़ी के व्यापारियों को भारी नुकसान
शवदाह के लिए जरूरी लकड़ी की दुकानें भी बाढ़ की चपेट में आ गई हैं। कई व्यापारियों का सारा सामान पानी में बह गया है, जिससे उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। घाटों पर पूजा-पाठ कर जीविका चलाने वाले पंडा-पुजारी भी खाली बैठे हैं, क्योंकि श्रद्धालु घाट तक पहुंच ही नहीं पा रहे।
श्रद्धा और त्रासदी एक साथ
काशी के 84 घाटों में से अधिकतर घाट इस समय जलमग्न हैं। गंगा का रौद्र रूप सिर्फ जनजीवन को नहीं, बल्कि मोक्ष की परंपरा और श्रद्धा को भी ठहराव दे चुका है। घाटों पर पसरा सन्नाटा, उफनती गंगा और छतों पर जलती चिताएं — यह दृश्य भावुक कर देने वाला है।
विदेशी पर्यटक भी निराश
बाढ़ ने पर्यटकों की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है। विदेशों से आ रहे पर्यटक भी बिना गंगा आरती और सूर्योदय देखे वापस लौट रहे हैं। हालांकि उनके भविष्य में वापस आने की उम्मीद लगाई जा सकती है।
मां गंगा से शांति की प्रार्थना
घाट किनारे पूजा कराने वाले पंडित दीपक शास्त्री ने भावुक होकर कहा कि श्रद्धालुओं की आवाजाही बंद है और घाटों पर बाढ़ का कहर जारी है। उन्होंने मां गंगा से प्रार्थना की कि वह जल्द ही अपने शांत स्वरूप में लौटें।