हाइलाइट्स
- ESB ने शिक्षक वर्ग-3 भर्ती में किए बड़े बदलाव।
- आवेदन से पहले बदले गए नियम और सिलेबस।
- सिलेबस से ‘बाल विकास’ और ‘शिक्षा शास्त्र’ हटाए गए।
MP Shikshak Bharti New Rule: मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) द्वारा शिक्षक वर्ग-3 के 13,000 पदों पर भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा विवादों में घिर गई है। आवेदन प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले बोर्ड ने नियमों, पात्रता की शर्तों और सिलेबस में बड़े बदलाव कर दिए हैं, जिससे हजारों उम्मीदवारों के परीक्षा से बाहर होने की आशंका गहराने लगी है। नई शर्तों में जहां डीएड/बीएड अंतिम वर्ष के अभ्यर्थियों को अयोग्य ठहराया गया है, वहीं भाषा और सिलेबस में भी बदलाव किए गए हैं। इस बदलाव के बाद ESB की परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हजारों युवाओं को बड़ा झटका
मध्यप्रदेश में कर्मचारी चयन मंडल (ESB) ने 13 हजार पदों के लिए निकली शिक्षक वर्ग-3 भर्ती प्रक्रिया में अचानक बदलाव किए हैं। जिससे शिक्षक बनने का सपना देख रहे हजारों युवाओं को बड़ा झटका लगा है। इससे हजारों अभ्यर्थियों पर अयोग्य होने का खतरा मंडरा रहा है। पात्रता, भाषा विकल्प और सिलेबस में किए गए तीन बड़े बदलावों ने परीक्षा की तैयारियों पर पानी फेर दिया है। अब अभ्यर्थियों ने शर्तों में ढील और आवेदन तिथि बढ़ाने की मांग की है।
पात्रता में सख्ती: डिग्री नहीं तो आवेदन नहीं
अब केवल वही उम्मीदवार आवेदन कर पाएंगे, जिनकी शैक्षणिक योग्यता 1 अगस्त 2025 तक पूरी हो चुकी हो। यानी जो डीएड/बीएड के अंतिम वर्ष में हैं और जिनका रिजल्ट नहीं आया है, वे इस बार परीक्षा फॉर्म नहीं भर सकेंगे। इससे हजारों छात्रों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। पहले की भर्तियों में उम्मीदवारों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन तक डिग्री पूरी करने की छूट मिलती थी। लेकिन इस बार परीक्षा के लिए शुक्रवार से शुरू हुए आवेदन 1 अगस्त तक ही स्वीकार किए जाएंगे। ऐसे में डीएड का परिणाम आने की संभावना बेहद कम है, क्योंकि माध्यमिक शिक्षा मंडल ध्यान फिलहाल 12वीं की पूरक परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने पर है।
दूसरा बदलाव: भाषा विकल्प हटा
इसके अलावा भाषा के विकल्पों में भी कटौती की गई है। इस बार भाषा से संस्कृत और उर्दू के विकल्प हटा दिए गए हैं। 2022 में हुई परीक्षा में अभ्यर्थियों को भाषा-1 और भाषा-2 के रूप में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू में से विकल्प चुनने की सुविधा थी। लेकिन इस बार भाषा-1 में सिर्फ हिंदी और भाषा-2 में केवल अंग्रेजी रखी गई है। इससे वे अभ्यर्थी प्रभावित होंगे, जिन्होंने टीईटी परीक्षा संस्कृत या उर्दू से पास की है।
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सिलेबस से हटे महत्वपूर्ण विषय
पिछली परीक्षाओं में शामिल ‘बाल विकास’ और ‘शिक्षा शास्त्र’ जैसे विषयों को इस बार हटा दिया गया है। कई उम्मीदवार लंबे समय से इन्हीं टॉपिक्स पर तैयारी कर रहे थे। अब उन्हें अपनी रणनीति पूरी तरह बदलनी होगी। सिलेबस में अचानक हुए बदलाव से हजारों अभ्यर्थी संकट में आ गए हैं।
अभ्यर्थी नाराज, शर्तों में छूट की मांग
अब नियमों में बदलाव से नाराज अभ्यर्थी लोक शिक्षण संचालनालय पहुंचकर आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ाने और पात्रता शर्तों में राहत देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि डीएड अंतिम वर्ष के छात्रों को भी आवेदन का मौका मिलना चाहिए, ताकि वे भर्ती से बाहर न हो सकें। ESB के डायरेक्टर साकेत मालवीय ने कहा कि “परीक्षा की शर्तों की समीक्षा करवाई जाएगी।” हालांकि उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि शर्तें बदली जाएंगी या नहीं।
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