CG Jan Vishwas Bill: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया, जब जनविश्वास विधेयक 2025 (Jan Vishwas Bill Chhattisgarh) को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यह विधेयक राज्य में Ease of Doing Business और Ease of Living को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाया गया है, और इसके तहत अब नागरिकों तथा व्यापारियों द्वारा की गई छोटी-मोटी तकनीकी भूलों को आपराधिक दायरे से हटाकर केवल आर्थिक दंड (monetary penalty) के तहत लाया जाएगा।
छत्तीसगढ़ बना मध्यप्रदेश के बाद दूसरा राज्य
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे (CG Jan Vishwas Bill) विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में एक मजबूत पहल बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyay Sanhita) का प्रारूप लाया गया है, उसी की तर्ज पर छत्तीसगढ़ ने भी जनविश्वास विधेयक पारित कर नागरिकों और उद्यमियों का भरोसा बढ़ाया है। इस विधेयक से राज्य में निवेश (investment), व्यापार (trade) और जीवन (living) सब कुछ सुगम होगा।
163 कानूनी प्रावधानों में किया गया संशोधन
जनविश्वास विधेयक (CG Jan Vishwas Bill) के तहत राज्य के 8 प्रमुख अधिनियमों (state legislative acts) में कुल 163 प्रावधानों को संशोधित (legal amendments) किया गया है। इसमें नगरीय प्रशासन अधिनियम, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, औद्योगिक संबंध अधिनियम, और सहकारिता अधिनियम (Society Registration Act, Industrial Relations Act, Co-operative Societies Act) शामिल हैं। अब तकनीकी त्रुटियों पर मुकदमा नहीं, बल्कि केवल शास्ति (fine) लगाई जाएगी।
वार्षिक रिपोर्ट में देरी जैसी गलती अब अपराध नहीं
अब यदि कोई मकान मालिक किराया बढ़ाने की सूचना नहीं देता, तो उस पर अब अपराधिक मुकदमा (criminal case) दर्ज नहीं होगा, बल्कि केवल अधिकतम ₹1000 का जुर्माना लगेगा। इसी तरह, यदि कोई सोसायटी अपनी वार्षिक रिपोर्ट समय पर दाखिल नहीं करती, तो भी उस पर अब केवल प्रशासनिक आर्थिक दंड (administrative penalty) लगाया जाएगा। महिला स्वसहायता समूहों के मामलों में यह दंड और भी न्यूनतम रखा गया है।
सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने पर पहली बार जेल नहीं
विधेयक में छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम, 1915 (Chhattisgarh Excise Act 1915) में भी संशोधन किया गया है। अब सार्वजनिक स्थल पर शराब पीने पर पहली बार केवल जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि पुनरावृत्ति होने पर जुर्माने के साथ-साथ कारावास की सजा भी दी जा सकती है। यह बदलाव राज्य में संवेदनशील लेकिन सख्त नीति (balanced governance) की ओर इशारा करता है।
नियमों में देरी अब अपराध नहीं
इस विधेयक का सबसे बड़ा लाभ छोटे व्यवसायियों और नए स्टार्टअप्स को मिलेगा, जो अब नियामकीय प्रक्रियाओं (regulatory compliance) में देरी के कारण अपराधी घोषित नहीं होंगे (non-criminal status for procedural lapses)। राज्य सरकार का यह कदम छत्तीसगढ़ को व्यापार और निवेश के लिए ज्यादा अनुकूल बनाएगा।
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छत्तीसगढ़ को मिलेगा विश्वास और प्रगतिशील पहचान
जनविश्वास विधेयक न केवल कानून की धाराओं को मानवीय बना रहा है, बल्कि नागरिकों में राज्य व्यवस्था के प्रति विश्वास (trust in governance) भी बढ़ा रहा है। यह विधेयक दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ अब दंड के भय के बजाय विश्वास आधारित व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है – जो किसी भी विकसित राज्य की पहचान होती है।
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