MP Administrative Protest: मध्यप्रदेश के तहसीलदार और नायब तहसीलदार 21 जुलाई 2025 को न्यायालयीन और गैर-न्यायालयीन कार्यों के विभाजन के विरोध में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। यह निर्णय मप्र कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने लिया है।
संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष और मीडिया प्रमुख डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने बताया कि यह कार्य विभाजन बिना किसी अध्ययन, कानूनी संशोधन और संसाधनों की व्यवस्था के जबरन लागू किया जा रहा है, जिससे प्रशासनिक असंतुलन और व्यवहारिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
क्या है मामला?
राजस्व विभाग ने हाल ही में एक आदेश जारी कर तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को न्यायालयीन और गैर-न्यायालयीन कार्यों में बाँटने की योजना बनाई है। इसके तहत कुछ अधिकारियों को सिर्फ प्रशासनिक कार्यों में लगाया जाएगा, जबकि कुछ को न्यायिक दायित्व सौंपे जाएंगे।
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संघ की आपत्तियां
संघ ने इस फैसले पर कई आपत्तियां उठाई हैं
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यह निर्णय बिना किसी स्पष्ट मापदंड, अध्ययन या उद्देश्य के लिया गया है।
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इस बदलाव से राजस्व न्यायालयों की संख्या घटेगी, जिससे किसानों और आमजन को न्याय मिलने में देरी होगी।
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बिना मानवीय और भौतिक संसाधनों की व्यवस्था किए जिम्मेदारियाँ दी जा रही हैं।
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गृह विभाग की अनुमति के बिना राजस्व विभाग मजिस्ट्रेट की नियुक्ति कर रहा है, जो कानूनन गलत है।
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किसी भी परामर्श समिति या संघ से कोई चर्चा नहीं की गई, जिससे यह निर्णय एकतरफा साबित होता है।
21 जुलाई को विरोध प्रदर्शन
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि शासन ने उक्त आदेशों को तत्काल स्थगित नहीं किया, तो 21 जुलाई को तहसीलदार और नायब तहसीलदार पूरे प्रदेश में सभी कार्यों से विरत रहकर जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद भविष्य की रणनीति तय की जाएगी।
संघ की मांग
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इस योजना को पूर्ण संरचनात्मक सुदृढ़ता और विधिक संशोधन के बाद ही लागू किया जाए।
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सभी जिलों में प्रयाप्त संसाधन और स्टाफ की व्यवस्था की जाए।
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भविष्य में इस तरह के निर्णयों से पहले संघ को विश्वास में लिया जाए।
यह मुद्दा प्रशासनिक व्यवस्था और न्याय प्रक्रिया दोनों को प्रभावित कर सकता है। देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
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