हाइलाइट्स
- कांवड़ यात्रा से पहले दुकानदार के नाम को लेकर बवाल।
- यात्रा रूट पर गुलफाम चला रहा था गुप्ता नाम से होटल।
- पेमेंट के लिए QR स्कैन किया तो खुल गया राज।
Kanwar Yatra Name Plate Controversy: कांवड़ यात्रा से पहले दुकानों और होटलों पर दुकानदार ने नाम की नेम प्लेट लगाने को लेकर सियासत जारी है। नेम प्लेट को लेकर छिड़े विवाद के बीच उत्तराखंड के मंगलोर से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां गुप्ता चाट भंडार (Gupta Chaat Bhandar) की दुकान में ऑनलाइन पेमेंट के लिए स्कैन किया तो दुकानदार का नाम गुलफाम (Gulfam) सामने आया। पूछताछ में सामने आया कि दुकान मालिक विशेष समुदाय से है जो हिंदू नाम से दुकान चला रहा था। इसके बाद दुकान पर भारी बवाल मच गया। हंगामे की खबर लगते ही मौके पर पहुंची पुलिस आरोपी को हिरासत में ले लिया।
कांवड़ यात्रा से पहले नेम प्लेट विवाद
दरअसल, कांवड़ यात्रा शुरू होने वाली है और कांवड़ियों के रूट पर पड़ने वाली दुकानों के संचालकों को अपने नाम और पहचान की नेम प्लेट लगाने के आदेश दिए गए हैं। इसके बाद भी कई दुकानदार नाम बदलकर दुकान और होटल चला रहे हैं। अब ताजा मामला उत्तराखंड और यूपी बॉर्डर पर हरिद्वार कांवड़ यात्रा मार्ग (Haridwar Kanwar route) से सामने आया है।
दुकान पर गुप्ता नाम, स्कैनर पर गुलफाम!
उत्तराखंड के मंगलौर में कांवड़ यात्रा से ठीक पहले एक दुकान में नाम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ‘गुप्ता चाट भंडार’ नाम की इस दुकान में जब एक ग्राहक ने डिजिटल पेमेंट के लिए स्कैनर का इस्तेमाल किया, तो स्कैन करते ही सामने आया पेमेंट रिसीवर का नाम – ‘गुलफाम’। इस खुलासे के बाद क्षेत्र में बवाल मच गया और लोगों ने दुकान के बाहर विरोध शुरू कर दिया।
QR कोड स्कैन करते ही खुली पोल
हरिद्वार हाईवे पर स्थित ‘गुप्ता चाट भंडार’ पर जैसे ही एक ग्राहक ने QR कोड स्कैन किया, पेमेंट रिसीवर के रूप में ‘गुलफाम’ नाम दिखाई दिया। जबकि दुकान पर बड़े-बड़े अक्षरों में ‘गुप्ता चाट भंडार’ लिखा था। इससे स्थानीय लोगों को शक हुआ कि कहीं दुकान की नेम प्लेट और संचालन में गड़बड़ी तो नहीं है।
मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होते ही पुलिस को सूचना दी गई और तुरंत कार्रवाई की मांग की गई।
पुलिस ने की कार्रवाई, स्कैनर जब्त
सूचना मिलते ही मंगलौर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। पूछताछ में दुकान दुकान संचालक पहले गोलमोल जवाब देता रहा, लेकिन जब QR कोड से जुड़ी जानकारी सबूत के तौर पर सामने रखी गई, तो उसने गलती स्वीकार की। उसने कहा, “हां, यह गलती हुई है, हम नाम सही करवा देंगे।” इसके बाद पुलिस ने उस स्कैनर को अपने कब्जे में ले लिया और संचालक को हिरासत में लिया।
पुराने मालिक ने बताई अपनी सफाई
इस दुकान के पुराने मालिक अशोक गुप्ता ने बताया कि उन्होंने यह दुकान पहले ही किसी और को बेच दी थी। इसके बावजूद दुकान पर पुराना नाम लिखा हुआ था, जबकि पेमेंट किसी और व्यक्ति के खाते में जा रहा था। इससे साफ होता है कि नियमों की अनदेखी की जा रही थी।
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प्रशासन की सख्ती: नेम प्लेट और पहचान अनिवार्य
दरअसल, कांवड़ यात्रा में आने कांड़ियों की आस्था और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश प्रशासन ने कांवड़ मार्ग पर आने वाली सभी दुकानों और होटलों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। खासकर, हाईवे की होटलों, ढाबों और खाने-पीने की दुकानों को लेकर सख्ती बरती जा रही है।
- दुकान पर असली मालिक का नाम स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए।
- वैध पहचान पत्र और लाइसेंस दुकान पर चस्पा होना अनिवार्य है।
- यदि कोई दुकान फर्जी नाम या पहचान के साथ पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्यों जरूरी हुई ये सख्ती?
हाल के दिनों में हिंदू संगठनों ने आरोप लगाए हैं कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर कुछ दुकानें जानबूझकर फर्जी नामों से संचालित हो रही हैं, जिससे श्रद्धालुओं को भ्रम होता है। इससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं और सामाजिक तनाव भी उत्पन्न हो सकता है। यही कारण है कि सरकार ने इस बार यात्रा मार्ग पर असली पहचान और पारदर्शिता को अनिवार्य कर दिया है। मंगलौर की घटना ने यह साफ कर दिया है कि अब कांवड़ यात्रा मार्ग पर किसी भी प्रकार की लापरवाही या फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।