हाइलाइट्स
- रिटायरमेंट के दिन डिप्टी रेंजर के खिलाफ कार्रवाई।
- CCF ने डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा को किया बर्खास्त।
- 5 साल पुराने 18 लाख के गबन केस में हुई कार्रवाई।
Narmadapuram Deputy Ranger dismissed: मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले से वन विभाग (forest department) में भ्रष्टाचार और मामले में कार्रवाई का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां वन विभाग में पदस्थ डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा को उसी दिन नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, जिस दिन वे रिटायरमेंट हो रहे थे। विभागीय उच्च अधिकारी ने यह कार्रवाई विदाई समारोह के बाद की है।
आरोप है कि डिप्टी रेंजर ने 5 साल पहले इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के तहत 150 लोगों के भ्रमण कार्यक्रम में फर्जी बिल लगाकर करीब 18 लाख रुपए का गबन किया था। अब मामले में विभागीय जांच में गबन के आरोप सही साबित होने पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अशोक कुमार चौहान ने कार्रवाई करते हुए डिप्टी रेंजर को नौकरी से बर्खास्त (deputy ranger dismissed) कर दिया है। रिटायरमेंट के दिन ही किसी अधिकारी को बर्खास्त किए जाने के बाद वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
रिटायरमेंट की खुशियां और बर्खास्तगी का झटका
दरअसल, नर्मदापुरम में डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा सोमवार 30 जून को रिटायर हो रहे थे। मिश्रा को सहकर्मियों ने सुबह सेवानिवृत्ति पर विदाई दी, लेकिन दोपहर होते-होते मुख्य वन संरक्षक (CCF) अशोक कुमार चौहान ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया।
भ्रमण कार्यक्रम प्रभारी थे डिप्टी रेंजर मिश्रा
पूरा मामला बानापुरा में तैनात रहने के दौरान इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है। यह मामला साल 2019 का है। भारत सरकार की ESIP योजना (इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट) के तहत बानापुरा क्षेत्र से 150 ग्रामीणों को रालेगण सिद्धि (महाराष्ट्र) भ्रमण पर भेजा गया था। उस समय डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा इस टूर के प्रभारी थे।
मिश्रा पर आरोप था कि उन्होंने भ्रमण के नाम पर फर्जी बिल लगाए थे। 150 लोगों के भ्रमण कार्यक्रम में फर्जी बिल लगाकर 18 लाख रुपए का गबन किया गया था। पूरा मामला वन कर्मचारी संघ के संरक्षक और सेवानिवृत्त फॉरेस्ट अधिकारी मधुकर चतुर्वेदी की शिकायत के बाद सामने आया। इस भ्रमण कार्यक्रम को लेकर लगभग 18 लाख रुपए की गड़बड़ी की शिकायत की गई थी।
जांच में दोषी पाए गए डिप्टी रेंजर
वन कर्मचारी संघ के संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी की शिकायत के बाद विभागीय जांच की गई, जिसमें मिश्रा को अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया गया। उन्होंने 24 जून को अपना जवाब सौंपा, लेकिन वह संतोषजनक नहीं पाया गया। जांच के बाद सीसीएफ अशोक कुमार चौहान ने मिश्रा को बर्खास्त करने का फैसला लिया, जो 30 जून को लागू हुआ।
18 लाख के फर्जी बिल लगाकर गबन
नर्मदापुरम में पदस्थ तत्कालीन डीएफओ अजय पांडे ने 21 जुलाई 2019 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के डीएफओ को भ्रमण कार्यक्रम की जानकारी देते हुए पत्र भेजा था। इसके दो दिन बाद, 23 जुलाई को भ्रमण दल रवाना हुआ था। जो वहां 28 जुलाई तक रूका था।
जांच में सामने आया कि भ्रमण के दौरान जिन होटलों और सुविधाओं के बिल लगाए गए थे, वो या तो मौजूद ही नहीं थीं, या उनमें उस तरह की सुविधा नहीं थी जैसा बिल में दिखाया गया। फर्जी बिल लगाकर 18 लाख रुपए का गबन किया गया। जैसे…
- रालेगण सिद्धि में ‘पद्मावती संत निवास’ नाम की कोई होटल ही नहीं थी।
- शिर्डी के जिस होटल ‘सिंहगढ़’ का रुकने का बिल लगाया गया, वहां केवल चाय-नाश्ते की व्यवस्था थी, रुकने की नहीं।
- कई कैटरिंग बिल भी फर्जी पाए गए।
पैसे गार्डों के खातों में भेजे
इस भ्रमण कार्यक्रम में खर्च दिखाकर जो भी भुगतान किया गया, वो चार फॉरेस्ट गार्डों के निजी खातों में ट्रांसफर कराया गया। यह पूरी प्रक्रिया विभागीय नियमों का उल्लंघन थी। इसके अलावा, इस भ्रमण के लिए स्टेट ऑफिस से कोई अनुमति नहीं ली गई, जबकि नियमों के अनुसार किसी भी राज्य से बाहर के भ्रमण कार्यक्रम के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
अन्य अधिकारी भी जांच के घेरे में
इस मामले में तत्कालीन डीएफओ अजय पांडे पर भी संदेह है। वे हाल ही में वन संरक्षक (शहडोल) पद से रिटायर हुए हैं। उन पर भी विभागीय जांच चल रही है, क्योंकि भ्रमण की अनुमति उन्होंने बिना राज्य सरकार को सूचना दिए दी थी। पांडे ने कहा कि वे अब रिटायर हो चुके हैं और मामले से संबंधित जानकारी विभाग के पास है।
विभागीय जांच के बाद कार्रवाई
मुख्य वन संरक्षक अशोक कुमार चौहान ने बताया कि डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा को 30 जून, यानी रिटायरमेंट के दिन ही सेवा से हटा दिया गया। उन पर इकोसिस्टम इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट के तहत 18 लाख रुपए की वित्तीय अनियमितता का आरोप था, जो जांच में सही पाया गया। मिश्रा ने यह राशि अपने बेटे और अधीनस्थ कर्मचारियों के खातों में स्थानांतरित कराई थी। विभागीय जांच के दौरान उन्हें 24 जून तक अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया था। जवाब मिलने के बाद 30 जून को बर्खास्तगी का आदेश जारी किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में तत्कालीन डीएफओ अजय पांडे पर भी आरोप हैं। उनके खिलाफ विभागीय जांच अब भी जारी है।