Hemant Khandelwal Kon Hain: लंबे इंतजार के बाद अब मध्यप्रदेश बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। बैतूल विधायक हेमंत विजय खंडेलवाल मध्यप्रदेश भाजपा के निर्विरोध नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं।
एमपी बीजेपी के नए मुखिया (MP BJP NEW STATE PRESIDENT) बनने की दौड़ में हेमंत खंडेलवाल पहले से ही सबसे आगे थे। उन्हें अध्यक्ष बनाने के पीछे तमाम तरह के समीकरण थे, जिसका बीजेपी ने ध्यान रखा।
हाथ पकड़कर मंच पर ले गए सीएम मोहन
नामांकन प्रोसेस के दौरान प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद शर्मा ने सीएम मोहन यादव को इशारा किया और फिर मुख्यमंत्री, खंडेलवाल को मंच पर ले गए। सीएम नए अध्यक्ष के प्रस्तावक बने।
खंडेलवाल पहली लाइन में मंत्री वीरेंद्र खटीक और गोपाल भार्गव के बीच में बैठे थे। सीएम मोहन इशारा मिलते ही उनको पीठ पर हाथ रखकर मंच की ओर बढ़े। चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, निर्वाचन अधिकारी विवेक शेजवलकर और पर्यवेक्षक सरोज पांडे के सामने उन्होंने नामांकन दाखिल किया।
चलिए जानते हैं, ऐसी कौन सी 5 वजह है जो हेमंत खंडेलवाल अध्यक्ष बनने वाले हैं
पहली वजह- सियासी समीकरण
मध्यप्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और बैतूल से आदिवासी सांसद को केंद्र में भेजकर बीजेपी ने पहले ही सारे सियासी समीकरण साध लिए हैं। अब बीजेपी वैश्य जाति से आने वाले हेमंत खंडेलवाल को अध्यक्ष बनाकर सभी सियासी समीकरण पूरे करना चाहती है।
खबरों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष के लिए हेमंत के नाम पर सीएम डॉ. मोहन यादव से लेकर संगठन और पार्टी में अंदरूनी तौर पर सबकी सहमति पहले से ही थी। आज मंगलवार 1 जुलाई को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM MOHAN YADAV) से उनकी मुलाकात के बाद इसकी चर्चाएं और तेज हो गई थी।
दूसरी वजह- साफ सुथरी छवि, सबकी सहमति
हेमंत खंडेलवाल संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के करीबी माने जाते हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति में उनकी छवि स्वच्छ और साफ है। वैश्य वर्ग से आने वाले खंडेलवाल बैतूल विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक (BETUL BJP MLA) हैं।
आदिवासियों के बीच भी उनकी अच्छी पकड़ है जिससे वो आदिवासी वर्ग को साध सकते हैं।
तीसरी वजह- समन्वय बनाना चुनौती
बीजेपी के सूत्रों की मानें तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। अगले तीन सालों में प्रदेश और देश में विधानसभा और लोकसभा का कोई चुनाव नहीं हैं।
ऐसे में पार्टी वोटर्स के गणित से ज्यादा पार्टी में समन्वय बनाकर चलने वाले चेहरे को कमान देने की तैयारी में है। हेमंत खंडेलवाल को लाइमलाइट से दूर रहकर काम करने के लिए जाना जाता है।
चौथी वजह- वैश्य वर्ग को साधना
भारत देश में वैश्य समाज की 30 फीसदी जनसंख्या है। मध्यप्रदेश में देखा जाए तो शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में वैश्य मतदाता हैं। ऐसे में बीजेपी 2028 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव से पहले इस वर्ग को खुश करना चाहेगी।
पांचवी वजह- राजनीति में खंडेलवाल परिवार का दबदबा (VIJAY KHANDELWAL PROFILE)
विधायक खंडेलवाल के पिता विजय कुमार खंडेलवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता और बैतूल से सांसद रहे हैं। 2008 में पिता के निधन के बाद हेमंत खंडेलवाल सक्रिय रूप से राजनीति में आए और उसी साल लोकसभा उपचुनाव जीतकर सांसद बने। हेमंत खंडेलवाल इस समय एमपी की बैतूल विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक हैं।
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