हाइलाइट्स
- वेयरहाउसिंग खराब मूंग की खरीदी का नुकसान देने को तैयार नहीं
- मार्कफेड एमडी बोले- डबल लॉक में गड़बड़ी तो भरपाई देनी होगी
- 3.51 लाख मीट्रिक टन मूंग खरीदी को केंद्र की मंजूरी
MP Moong Kharidi New controversy Markfed Warehouse Vivad: मध्यप्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी में अब नया विवाद सामने आ गया है। खरीदी के लिए नियुक्त होने वाले सर्वेयर को लेकर मप्र वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन और मार्केटिंग फेडरेशन (मार्कफेड) आमने-सामने आ गए हैं। वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अनुराग वर्मा ने मार्कफेड को पत्र लिखा है। जिसमें बताया कि खरीदी के समय सर्वेयर मार्केटिंग फेडरेशन की सहायक नैफेड द्वारा नियुक्त होते हैं, इसलिए उनके द्वारा खराब मूंग खरीदी हुई तो वेयरहाउसिंग जिम्मेदार नहीं है। इसकी कटौती भी उनकी राशि से नहीं होनी चाहिए।
उधर, मार्कफेड के एमडी आलोक सिंह ने कहा कि यह बात सही है कि सर्वेयर तय होते हैं। लेकिन खरीदी होने के बाद जब मूंग गोदामों में जाती है तो वेयरहाउसिंग के लोग भी उसे चैक करते हैं। फिर मूंग को डबल लॉक में रख दिया जाता है। मार्कफेड इसका किराया देता है। गोदाम में जाने के बाद यदि मूंग में पानी या मिट्टी आ जाए या कुछ और नुकसान हो तो नियमानुसार इसकी भरपाई तो वेयरहाउसिंग को ही करनी चाहिए।

18 जिलों में होगी एमएसपी पर मूंग की खरीदी
हाल ही में केंद्र ने मप्र में 3.51 लाख मीट्रिक टन मूंग की खरीदी को मंजूरी दी है। कुल 18 जिलों मूंग MSP पर खरीदी जाएगी। कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए सर्वेयर खरीद केंद्रों पर मूंग की गुणवत्ता की जांच करते हैं। हालांकि, बीते कई सालों में इन पर खरीदी में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं और एक्शन भी हुआ है। इधर, अनुराग वर्मा ने मार्कफेड को लिखे पत्र में यह भी कहा कि हाल ही में रायसेन में भंडार में रखी गई 2023-24 और 2024-25 की मूंग के खराब क्वालिटी के होने के बारे में यह बात हो रही है। नुकसान को वेयरहाउसिंग की राशि से नहीं काटी जाए।
वर्मा ने लिखा कि खरीदी में मार्कफेड-नफेड के प्रतिनिधि रहते हैं, इसलिए खराब स्टॉक में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। पिछले साल रायसेन, नर्मदापुरम जैसे कई जिलों में गड़बड़ी सामने आई है। आलोक सिंह का कहना है कि वेयरहाउसिंग का पत्र आया था, उसका जवाब भी दिया जा चुका है। अब कोई मुद्दा नहीं है।
18 जिलों में होगी MSP पर मूंग की खरीदी
हाल ही में केंद्र ने मप्र में 3.51 लाख मीट्रिक टन मूंग की खरीदी को मंजूरी दी है। कुल 18 जिलों मूंग MSP पर खरीदी जाएगी। कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए सर्वेयर खरीद केंद्रों पर मूंग की गुणवत्ता की जांच करते हैं। हालांकि, बीते कई सालों में इन पर खरीदी में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं और एक्शन भी हुआ है। इधर, अनुराग वर्मा ने मार्कफेड को लिखे पत्र में यह भी कहा कि हाल ही में रायसेन में भंडार में रखी गई 2023-24 और 2024-25 की मूंग के खराब क्वालिटी के होने के बारे में यह बात हो रही है। नुकसान को वेयरहाउसिंग की राशि से नहीं काटी जाए।
वर्मा ने लिखा कि खरीदी में मार्कफेड-नफेड के प्रतिनिधि रहते हैं, इसलिए खराब स्टॉक में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। पिछले साल रायसेन, नर्मदापुरम जैसे कई जिलों में गड़बड़ी सामने आई है। आलोक सिंह का कहना है कि वेयरहाउसिंग का पत्र आया था, उसका जवाब भी दिया जा चुका है। अब कोई मुद्दा नहीं है।
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अमानक फसल भी वेयरहाउसिंग के गोदाम में पहुंच जाती है
मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन, फील्ड स्टाफ एम्प्लॉयज के अध्यक्ष दिलीप सिंह राजपूत का कहना है कि मूंग खरीदी में उपार्जन संस्था के अधिकारी प्रतिनिधि होते हैं। एक साथ कई जगह खरीदी होने से 5 से 10% बोरियों की चेकिंग होती है और अमानक फसल भी वेयरहाउसिंग के गोदामों में पहुंच जाती है। इस पर वेयरहाउसिंग को दोषी ठहराना ठीक नहीं है।
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