Mobile Number Verification Rule 2025: देश में बड़ रहे मोबाइल फ्रॉड के मामलों को देखते हुए टेलीकॉम डिपार्टमेंट (DoT) ने साइबर सिक्योरिटी रूल में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। इस बदलाव के तहत मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन प्रोसेस के लिए नया प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा।
जिसके जरिए सरकारी एजेंसियां और प्राइवेट कंपनियां वेरिफिकेशन के लिए फीस पे करेंगी। हालांकि, यह अब तक साफ नहीं है कि यह फीस कंपनियां उठाएंगी या इसका भार आम यूजर्स पर पड़ेगा।
MNV प्लेटफॉर्म की सिफारिश
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) ने 24 जून 2025 को जो ड्राफ्ट जारी किया है, उसमें “Mobile Number Verification (MNV)” प्लेटफॉर्म को शामिल करने की सिफारिश की गई है।
इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य ऑथराइज्ड इंस्टीट्यूशन और लाइसेंसधारियों को यह जांचने में मदद करना है कि यूजर द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा फोन नंबर डेटाबेस में मौजूद है या नहीं।
यह भी पढ़ें- iPhone 16 Price Drop: iPhone 16 पर मिल रहा जबरदस्त डिस्काउंट, बैंक ऑफर्स के साथ एक्सचेंज डील्म
TIUE एंटिटीज का होगा उपयोग
नए नियमों के तहत उन संस्थाओं का भी उल्लेख किया गया है जो किसी ट्रांजैक्शन या वेरिफिकेशन के लिए यूजर के मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करती हैं।
इन्हें टेलिकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर यूजर एंटिटी (TIUE) कहा गया है। ये एंटिटीज बैंक, फिनटेक कंपनियों और अन्य सर्विस प्रोवाइडर के रूप में सामने आ सकती हैं।
सरकारी और प्राइवेट संस्थाओं पर अलग-अलग फीस
नए नियमों के ड्राफ्ट के मुताबिक, अगर कोई युनिट स्टेट या केंद्र सरकार से अधिकृत है तो उसे हर नंबर वेरिफिकेशन के लिए 1.5 रुपये फीस देनी होगी।
वहीं, प्राइवेट कंपनियों को हर वेरिफिकेशन के लिए 3 रुपये देने होंगे। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि कंपनियां यह शुल्क खुद भरेंगी या फिर यूजर्स से वसूला जाएगा।
30 दिन में मांगी गई प्रतिक्रिय
टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने सभी संबंधित पक्षों से इस ड्राफ्ट पर 30 दिनों के अंदर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा है। इस प्रस्तावित नियम के लागू होने के बाद सरकारी एजेंसियों और कानून प्रवर्तन संस्थाओं को गैर-दूरसंचार कंपनियों से भी लेन-देन का डाटा मांगने का अधिकार मिल सकता है।
बैंक कर चुके हैं टेस्टिंग की शुरुआत
रिपोर्ट्स के अनुसार, बैंकों ने इस वेरिफिकेशन मैकेनिज्म की पायलट टेस्टिंग भी शुरू कर दी है। यह सिस्टम उन मोबाइल नंबरों को ‘फ्लैग’ करेगा जो किसी फ्रॉड एक्टिविटी से जुड़े रहे हैं।
ऐसे नंबरों को 90 दिनों के लिए डिएक्टिवेट कर दिया जाएगा और फिर उनकी हिस्ट्री खुद-ब-खुद मिटा दी जाएगी ताकि भविष्य में वह नंबर किसी नए यूजर को दिए जाने पर कोई परेशानी न हो।
यह भी पढ़ें- Jio Cheap Recharge Plan: Jio के 5 सबसे सस्ते रिचार्ज प्लान, 300 रुपये से कम में जबरदस्त फायदे