Madhya Pradesh Employees Selection Board (MPESB) PNST 2025 Face Recognition Update: मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (Madhya Pradesh Staff Selection Board) अब भर्ती परीक्षाओं में परीक्षार्थियों की पहचान के लिए उंगलियों के निशान (बायोमेट्रिक) की जगह चेहरा पहचानने वाली फेस रिकग्निशन तकनीक (Face recognition technology) का इस्तेमाल करने जा रहा है।
मंडल के निदेशक साकेत मालवीय (Director Saket Malviya) ने जानकारी देते हुए बताया कि पायलट प्रोजेक्ट (pilot project) के सफल रहने पर जुलाई से सभी भर्ती परीक्षाओं में यह तकनीक लागू की जाएगी। अब तक परीक्षाओं में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन (Biometric Verification) के जरिए ही अभ्यर्थियों की पहचान होती थी। इस नई व्यवस्था का ट्रायल 24 जून को होने वाली प्री-नर्सिंग सिलेक्शन टेस्ट (Pre-Nursing Selection Test) (PNST) परीक्षा में किया जाएगा।
फेस रिकग्निशन तकनीक एक पायलट प्रोजेक्ट
24 जून को होने वाली प्री-नर्सिंग सिलेक्शन टेस्ट (Pre-Nursing Selection Test) में परीक्षार्थियों की पहचान के लिए पहली बार फेस रिकग्निशन तकनीक (Face recognition technology) का इस्तेमाल किया जाएगा। यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जिसके सफल रहने पर इस साल की सभी आगामी परीक्षाओं में भी इसी तकनीक को लागू किया जाएगा।
UIDAI ने 2021 में शुरू की थी यह तकनीक
यह तकनीक UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) (Unique Identification Authority of India) द्वारा वर्ष 2021 में शुरू की गई थी। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artifical Intelligence) (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की मदद से लाइव चेहरे का मिलान कर वेरिफिकेशन (Verification) किया जाता है। फेस रिकग्निशन तकनीक (Face recognition technology) को अधिक सुरक्षित, आधुनिक और छेड़छाड़-रोधी माना जा रहा है।
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फेस रिकग्निशन सिस्टम ऐसे होगा लागू
यूआईडीएआई से डेटा प्राप्त होगा
कर्मचारी चयन मंडल, UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) से अभ्यर्थियों के आधार से जुड़े डेटा की मांग करेगा। UIDAI केंद्र और राज्य सरकार की संस्थाओं को यह डेटा नि:शुल्क उपलब्ध कराता है।
चेहरे के मिलान के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग
एक विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए उम्मीदवार के फेस प्रिंट को आधार डेटा से मिलाया जाएगा। यह सॉफ्टवेयर यह सुनिश्चित करेगा कि परीक्षा देने वाला व्यक्ति वही है, जिसने आवेदन किया है।
कैमरा आधारित उपकरणों की जरूरत
जैसे बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन में थंब इंप्रेशन मशीन का इस्तेमाल होता है, वैसे ही फेस रिकग्निशन के लिए कैमरा युक्त टैबलेट या मोबाइल फोन का उपयोग किया जाएगा। इन कैमरों से अभ्यर्थियों का लाइव चेहरा स्कैन किया जाएगा।
MP आरक्षक भर्ती में गड़बड़ी के बाद किया बदलाव
यह कदम परीक्षाओं में धोखाधड़ी रोकने और तकनीकी अड़चनों को दूर करने की दिशा में उठाया गया है। नई फेस रिकग्निशन तकनीक से पहचान प्रक्रिया और अधिक सुरक्षित और पारदर्शी हो जाएगी। पुलिस आरक्षक भर्ती 2023 में सामने आई गड़बड़ियों के बाद यह बदलाव किया जा रहा है।
बायोमेट्रिक डेटा बदलकर परीक्षा में बैठाए सॉल्वर
एमपी की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2023 में धोखाधड़ी करने वालों ने बायोमेट्रिक प्रणाली को भी चकमा दिया है। जांच में सामने आया है कि कुछ उम्मीदवारों ने अपने आधार कार्ड में फोटो और बायोमेट्रिक डेटा बदलकर परीक्षा में अपनी जगह सॉल्वर को बैठा दिया था। इस घोटाले ने बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली की कमजोरियों को उजागर कर दिया है।
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